सोनाली भाटी/जालोर: राजस्थान के जालोर शहर को शिवालियों की नगरी के नाम से जाना जाता है. ऐसी कहा जाता है कि यहां पर भगवान शिव का आवास था. ऐसा ही एक दुर्लभ मंदिर जालौर के नाथ श्री श्री 1008 श्री केशर नाथ जी महाराज ने अपनी तपस्या की और उसे स्थान को कृतांथ किया, जिसे लोग चिंताओं को हरने वाली चितहरणी भी कहते हैं.
यह स्थान जालोर से 16 किमी दूर है. इस क्षेत्र में मानसून सक्रिय होते ही जालौर के मंदिर की पहाड़ी स्थित चितहरणी का स्थल हरियाली से घिर जाता है. पहाड़ी और मरूस्थल से घिरा यह स्थल बारिश के समय पर्यटन स्थल भी बन जाता है. यहां पर बड़ी संख्या में पर्यटक घूमने आते हैं. भक्त भी महादेव मंदिर में दर्शन को बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. यहां बारिश के बाद 8 माह तक हरियाली छाई रहती है. केवल 4 माह गर्मी के दौरान यहां पर पेड़-पौधे सूख जाते हैं. इसके अलावा यहां हमेशा हरियाली छायी रहती है.
बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं आनंद लेने
हरियाली को लेकर पुजारी ने बताया
वहीं, पंडित मनोज कुमार शास्त्री ने लोकल 18 को बताया कि यह भोलेनाथ का तपस्या स्थल रही है. यह पहाड़ी चितहरणी के धोरे पूर्व में भी जालोर के लिए प्रसिद्ध है. साथ ही यह पहाड़ी तपस्या स्थल रही है. पहाड़ी की ओट में केसरनाथ महाराज की धूणी और महादेव मंदिर भी बना हुआ है. जिस कारण जालोरवासियों के लिए यह स्थल आस्था का केन्द्र बना हुआ हैं.
जानें कैसे पहुंचे पहाड़ी
यह स्थल भागली ग्राम पंचायत में आता है, जो जालोर से 16 किमी दूर है. जालौर से बागरा वाली सड़क पर टोल के पास से भागली गांव होते हुए चितहरणी के लिए रास्ता जाता है. यहां तक जाने के लिए सड़क सुविधा है. सावन महीने के दौरान प्रतिदिन 200 से अधिक लोग यहां पर पहुंच रहे हैं.
2024-08-01T11:35:30Z