MUTUAL FUNDS INVESTMENT: पैसिव फंड्स से लोगों का हो रहा है मोहभंग? AMFI के आंकड़ों को देख कर समझ में आ जाएगा आपको

Passive Funds: इन दिनों शेयर बाजार में मंदड़ियों का राज कायम लगता है। तभी तो पिछले कुछ दिनों से बाजार में शेयरों की खूब पिटाई हो रही है। हालांकि, कल दोपहर के बाद बाजार में सुधार दिखा और संवेदी सूचकांक बढ़ कर बंद हुआ। वैसे भी, इस समय कम रिटर्न के कारण पैसिव फंड्स (Passive Fund) में निवेशको की रुचि कम हुई है। यह सिलसिला करीब एक साल से चल रहा है। देखा जाए तो शेयर बाजार में निवेश के मूलत: दो तरीके हैं। एक है एक्टिव फंड और दूसरा है पैसिव फंड। एक्टिव फंड में जहां फंड मैनेजरों की सक्रिय भूमिका होती है, वहीं पैसिव फंड्स में किसी इंडेक्स को ट्रेक किया जाता है। दरअसल यह एक तरह का एक्सचेंज ट्रेडेड फंड होता है। इसमें पिछले साल निवेश काफी घटा है। आइए, जातने हैं कारण...

एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों से पता चला है कि मार्च 2024 में पैसिव फंड में 12 महीने का फ्लो 33 महीने के निचले स्तर 49,846 करोड़ तक गिर गया। मतलब कि निवेशकों ने इस फंड में रुचि लेनी कम कर दी है। इन दिनों म्यूचुअल फंड में निवेश बढ़ा है, लेकिन अन्य फंड्स में। आइए जातने हैं, क्या होता है पैसिव फंड और क्यों इसमें निवेश घटा है।क्या रहा है पिछले साल निवेश

एम्फी के आंकड़ों के अनुसार मार्च 2024 में पैसिव फंड में 12 महीने का फ्लो 49,846 करोड़ तक गिर गया। यह बीते 33 महीने का निचला स्तर है। एक साल पहले की समान अवधि में इनमें इनफ्लो 1,55,197 करोड़ रुपये था अक्टूबर 2022 की बात करें तो पैसिव फंड में इनफ्लो 1.6 लाख करोड़ था। यदि एक महीने की बात करें तो मार्च 2024 में इसने महज 3,644 करोड़ रुपये जुटाए जो कि पिछले एक साल के औसत का आधा है।

पैसिव फंड क्यों पसंद करते थे लोग

​पैसिव फंड की प्राथमिक अपील उनकी कम लागत (Lower Cost of Management) में होती है, क्योंकि वे आमतौर पर ऐक्टिव फंड की तुलना में कम मैनेजमेंट फीस लेते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें व्यापक अनुसंधान, स्टॉक चयन और अक्सर ट्रेडिंग की आवश्यकता नहीं होती है, जो खर्चों को बढ़ा सकती है। इसके फलस्वरूप, पैसिव फंड इन्वेस्टर को अपने पोर्टफोलियो को विविधता प्रदान करने और मार्केट सेगमेंट की विस्तृत रेंज में एक्सपोज़र प्राप्त करने का एक लागत-प्रभावी तरीका प्रदान करते हैं।

लोगों की क्यों घटी रुचि

आम लोगों का मंतव्य होता है ज्यादा कमाई। भले ही उन्हें कुछ ज्यादा फीस क्यों नहीं चुकानी पड़े। इस समय बेहतर तरीके से प्रबंधित म्यूचुअल फंड में 30-40 फीसदी रिटर्न मिलना आम बात है। एक्टिव लार्ज कैप फंड्स पर रिटर्न पिछले 12 महीनों में पैसिव फंड से बेहतर रहा है। उदाहरण के लिए, ICICI Prudential असेट मैनेजमेंट कंपनी के सबसे बड़े लाजकैप फंड ICICI ब्लूचिप ने इस अवधि के दौरान 37.4% रिटर्न दिया, जबकि इस दौरान इसके सबसे बड़े ETF ने 25.3% का रिटर्न दिया।इसके बदल फंड हाउस महज एक से दो फीसदी का शुल्क लेते हैं। तभी तो लोग कुछ ज्यादा शुल्क देकर एक्टिव फंड में निवेश कर रहे हैं।

क्या होता है पैसिव फंड

पैसिव म्यूचुअल फंड एक तरह का इन्वेस्टमेंट व्हीलक है। इसका उद्देश्य निफ्टी या सेंसेक्स जैसे किसी विशेष मार्केट इंडेक्स के प्रदर्शन के आधार पर निवेशकों को रिटर्न देना है। ये फंड उनके ऐक्टिव काउंटरपार्ट के विपरीत, निष्क्रिय रूप से प्रबंधित फंड मार्केट को आउटपरफॉर्म करने का प्रयास नहीं करते हैं। इनका प्राथमिक लक्ष्य ऐसे रिटर्न प्राप्त करना है जो बेंचमार्क इंडेक्स को करीब मिरर करते हैं। इसलिए इसमें फंड मैनेजर की भूमिका अपेक्षाकृत हैंड-ऑफ होती है।

टैक्स के नियम भी जिम्मेदार

पैसिव फंड में कमजोर इनफ्लो के लिए एक अन्य फैक्टर डेट फंड के लिए टैक्सेशन में बदलाव है। डेट फंड में तीन साल से अधिक की निवेश अवधि पर पहले की तरह मिलने वाली छूट FY24 की शुरुआत से हटा दी गई थी। इससे बॉन्ड पर वील्ड में 100 बेसिस पॉइंट तक की कमी आई। इससे इंडेक्स फंड्स के रिटर्न पर असर पड़ा।

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