खुली पेट की सर्जरी की तुलना में टीएलएच के हैं कई फायदे

राजधानी पटना के फोर्ड अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर ने मरीजों के उपचार को बेहतर बनाने के लिए नए और आधुनिक तकनीकों को अपनाने की दिशा में एक और बड़ा पड़ाव पार कर लिया है। अस्पताल के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग ने 500 से अधिक सफल टीएलएच सर्जरी करने की उपलब्धि हासिल कर ली है। बता दें कि यहां पिछले कुछ वर्षों से मिनिमल इनवेसिव (न्यूनतम इनवेसिव) पद्धति द्वारा हिस्टेरेक्टॉमी किया जा रहा है। टीएलएच (टोटल लैप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी) सर्जरी की एक प्रक्रिया है, जिसमें पेट के ऊपर कुछ छोटे छिद्रों के माध्यम से पूरे रोगग्रस्त गर्भाशय को हटा दिया जाता है।

फोर्ड हॉस्पिटल के निदेशक और जनरल सर्जन डॉ. संतोष कुमार बताते हैं कि टीएलएच, खुली पेट की सर्जरी (ओपन एब्डॉमिनल हिस्टेरेक्टॉमी) की तुलना में कहीं ज्यादा फायदेमंद है। इसमें छोटे छिद्र के माध्यम से सर्जरी होने के कारण मरीजों में सर्जरी के निशान बहुत कम या नहीं के बराबर होते हैं। टीएलएच के बाद रिकवरी तेज होती है। इसके लिए मरीजों को अस्पताल में ज्यादा समय नहीं बिताना पड़ता है। न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया होने के कारण, टीएलएच में खुली सर्जरी की तुलना में दर्द भी कम होता है। टीएलएच में रक्तस्राव और संक्रमण जैसी जटिलताओं का खतरा बेहद कम होता है। टीएलएच के बाद मरीज तेजी से अपनी सामान्य गतिविधियों में लौट सकते हैं। इसके अलावा खर्च के नजरिए से भी यह बहुत किफायती होता है।

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