COMMODITY MARKET : कॉपर और एल्युमिनियम की कीमतें शिखर पर, MCX पर एल्युमिनियम इस साल 20 % भागा, लंबी चलेगी ये तेजी!

Commodity market : कॉपर और एल्युमिनियम की कीमतें शिखर पर दिख रही हैं। पिछले कई हफ्तों से इमकी कीमतों में लगातार तेजी देखने को मिल रही है। सप्लाई में दिक्कतों की वजह से कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है। कॉपर और एल्युमिनियम की ग्लोबल डिमांड में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। रूस के मेटल पर प्रतिबंध से भी कॉपर और एल्युमिनियम के भाव चढ़े हैं। चीन के बाजार में कॉपर अब तक के शिखर पर है। LME (लंदन मेटल एक्चेंज और MCX पर कॉपर की कीमतें करीब 2 महीने के शिखर पर हैं।

MCX पर एल्युमिनियम के भाव में इस साल 20 फीसदी का उछाल 

भारतीय बाजार में एल्युमिनियम की कीमतें शिखर पर दिख रही है। MCX पर एल्युमिनियम के भाव में इस साल 20 फीसदी का उछाल आया है। चीन और USA में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां बढ़ने का असर देखने को मिल रहा है। 16 महीनों की सुस्ती के बाद चीन में मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ बढ़ी है। अतंरराष्ट्रीय बाजार में इस महीने अब तक कॉपर मंथली बेसिस पर 8 फीसदी चढ़ा है। मंथली बेसिस पर अतंरराष्ट्रीय बाजार में इस महीने अब तक एल्युमिनियम 5 फीसदी चढ़ा है।

मेटल की तेजी लंबी चलेगी

इस बीच वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा है कि कॉपर, एल्युमिनियम, जिंक, सिल्वर में आगे जबरदस्त तेजी आने की संभावना नजर आ रही है। इन धातुओं को आसानी से रिसाइकल किया जा सकता है। ये एक तरीके से ग्रीन मेटल हैं। सोलर PV सेल, बैटरी, EVs,सेमीकंडक्टर में इनकी अहम भूमिका है। सप्लाई के मुकाबले कॉपर, एल्युमिनियम की मांग काफी ज्यादा है और ये डबल डिजिट ग्रोथ दिखा रहे हैं।

इस बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि तांबा, एल्यूमीनियम, जस्ता और चांदी जैसी धातुओं में नई कहानी उभर रही है इन पर अभी तक लोगों का बहुत कम ध्यान गया है। ये सभी महत्वपूर्ण खनिज हैं। हालांकि सोना अपने आंतरिक मूल्य के लिए जाना जाता है लेकिन ये महत्वपूर्ण खनिज अपनी उपयोगिता के मामले में लगभग सोने के समान हैं। वे नए युग की टेक्नोलॉजी के लिए आधार की तरह हैं। चाहे एनर्जी ट्रांजिशन हो (सौर पीवी सेल, बैटरी, ईवी) या ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ( एडवांस सेमीकंडक्टर) से संबंधित टेक्नोलॉजी सबमें इनका इस्तेमाल होता है।

अनिल ने आगे कहा कि खास बात ये है कि तांबा, एल्यूमीनियम, जस्ता और चांदी जैसे मेटल, ग्रीन मेटल हैं। ये जलवायु-अनुकूल दुनिया को हरी भरी रखने में सहायक धातुएं हैं। इनको फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है और नवीनतम तकनीक का उपयोग करके पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना इनका खनन किया जा सकता है।

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इन सभी मेटल्स मांग आपूर्ति की तुलना में बहुत तेजी से दोहरे अंक में बढ़ रही है। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत अपनी अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं का विस्तार कर रहा है। ऐसे में यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हम इन सभी महत्वपूर्ण खनिजों में आत्मनिर्भर हों। इसके लिए अधिक एक्सप्लोरेशन और सरल रेग्युलेटरी मंजूरी बहुत जरूरी है।

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