BJP को झटका

जब देश लोकसभा चुनावों में तीसरे चरण के मतदान से गुजर रहा था, तब मंगलवार को अचानक हरियाणा से आई तीन विधायकों के पाला बदलने की खबर ने राजनीतिक तापमान और बढ़ा दिया। खास बात यह कि इन तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद प्रदेश की BJP सरकार अल्पमत में आ गई बताई जा रही है।

फैसले की टाइमिंग : तीनों निर्दलीय विधायकों ने समर्थन वापसी का फैसला ऐसे समय किया, जब राज्य में लोकसभा चुनाव की गहमागहमी अपने चरम पर है। राज्य की दसों लोकसभा सीटों के लिए 25 मई को वोट पड़ने हैं। ऐसे में इन तीन विधायकों का BJP के बजाय कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करने का एलान स्वाभाविक ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने वाला है।

राज्य सरकार का भविष्य : ध्यान रहे, इसी साल के आखिर में राज्य में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं। ऐसे में इन विधायकों की समर्थन वापसी के बाद नायब सिंह सैनी सरकार के सामने अपना बहुमत साबित करने की चुनौती आ खड़ी हुई है। हालांकि दो महीने पहले ही उन्होंने सदन में विश्वास मत हासिल किया है, इसलिए तत्काल उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता। लेकिन अल्पमत सरकार की धारणा को बदलना उनके लिए कठिन होगा।

वैकल्पिक सरकार : विपक्ष की मुश्किल यह है कि कांग्रेस और JJP के विधायक मिलकर भी सदन में बहुमत जुटाने की स्थिति में नहीं हैं। यही वजह है कि कांग्रेस सरकार बनाने की बात करने के बजाय राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने और तत्काल विधानसभा चुनाव कराने की मांग कर रही है। दूसरी तरफ BJP की ओर से कहा जा रहा है कि JJP विधायकों का एक धड़ा उसके संपर्क में है।

अनदेखी संभव नहीं : ऐसे में अगर ठोस नतीजों के लिहाज से देखा जाए तो राज्य में तत्काल सरकार गिरने की स्थिति नहीं दिख रही, लेकिन ऐसा राजनीतिक संकट जरूर खड़ा हो गया है जिसकी अनदेखी करना किसी के लिए भी संभव नहीं रह गया है। प्रदेश और राष्ट्रीय BJP नेतृत्व इस संकट से उबरने की क्या राह निकालता है, कोई राह निकाल पाता है या नहीं, यह स्पष्ट होने में थोड़ा वक्त लगेगा।

चुनावी माहौल पर असर : प्रदेश में कांग्रेस और JJP दोनों का मौजूदा रुख बताता है कि दोनों पार्टियां इस स्थिति का अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए इस्तेमाल करने में कोई कसर बाकी नहीं रखेंगी। ऐन चुनाव के दौरान एक राज्य में दस साल से चलती बीजेपी सरकार का इस तरह अचानक गिरने की स्थिति में आ जाना विपक्ष के लिए मुंहमांगी मुराद मिलने जैसा है। लेकिन वह इसका कितना फायदा सचमुच उठा पाता है और BJP संभावित नुकसान से कितना बच पाती है, इसका पहला ठोस अंदाजा 4 जून को होने वाली मतगणना से ही मिलेगा।

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2024-05-09T02:12:19Z dg43tfdfdgfd