CBSE VS ICSE: बच्चे को दाखिला दिलाने से पहले जानें CBSE और ICSE बोर्ड में फर्क, किसका सिलेबस है बेहतर?

CBSE Vs ICSE Board: पूरे भारत में 70 से ज्यादा शिक्षा बोर्ड हैं, जिनमें कई स्टेट, सेंट्रल और इंटरनेशनल बोर्ड्स हैं. यूपी, एमपी, बिहार स्टेट बोर्ड के अलावा सीबीएसई (CBSE) और सीआईएससीई बोर्ड (CISCE) का अपना नाम है. प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले ज्यादातर पेरेंट्स उन्हें सीबीएसई या सीआईएससीई बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में पढ़ने भेजते हैं. किसी भी स्कूल में बच्चों का एडमिशन कराने से पहले आपको इन दोनों के बीच का अंतर जानना चाहिए. इसके अलावा स्कूल एडमिशन के समय पेरेंट्स को अपने बजट के बारे में सोचना जरूरी है.

CBSE बोर्ड

सीबीएसई का फुल फॉर्म केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड है, जिसका मैनजमेंट भारत सरकार करती है. देश के ज्यादातर प्राइवेट और सरकारी स्कूल इससे संबद्ध हैं. है. देश के सबसे टॉप सरकारी स्कूल केंद्रीय विद्यालय, जवाहर नवोदय विद्यालय इसी से संबद्ध हैं. सीबीएसई बोर्ड में पूरा जोर बच्चे की ओवरऑल पर्सनालिटी और इंटेलेक्ट डेवलपमेंट पर दिया जाता है. इसका सिलेबस NCERT द्वारा तैयार किया जाता है.

CISCE बोर्ड

CISCE प्राइवेट बोर्ड है, जिसकी स्थापना इंडियन स्टूडेंट्स को हाई क्वॉलिटी एजुकेशन देने के लिए हुई थी. CISCE की बोर्ड परीक्षा के दो पार्ट हैं, आईसीएसई यानी कि 10वीं और आईएससी यानी 12वीं की परीक्षा. ICSE का फुल फॉर्म इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकंडरी एजुकेशन है. इस बोर्ड की पढ़ाई इंग्लिश में होती है, जिससे आगे चलकर IELTS और TOEFL क्लियर करने में स्टूडेंट्स को मदद मिलती है. ICSE बोर्ड से पढ़कर विदेशी यूनिवर्सिटी में एडमिशन की तैयारी करने में आसान होती है.

CBSE और ICSE बोर्ड में फर्क

सीबीएसई साइंस और मैथ्स पर ज्यादा फोकस करता है, जबकि आईसीएसई के सिलेबस में लैंग्वेज, आर्ट्स और साइंस को बराबर की प्रायरिटी दी जाती है और प्रैक्टिकल्स पर फोकस रहता है. आईसीएसई का सिलेबस ज्यादा बड़ा होता है, वहीं सीबीएसई सिलेबस सीयूईटी, जेईई और नीट आदि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के हिसाब से बनाया जाता है. 

किस बोर्ड में पढ़ते हैं ज्यादा बच्चे?

भारत में आईसीएसई बोर्ड से संबद्ध करीब 2700 स्कूल हैं, जबकि सीबीएसई के 27,00 से ज्यादा स्कूल संचालित किए जा रहे हैं, जिस लिहाज से इस बोर्ड के स्टूडेंट्स की संख्या बहुत ज्यादा है. सीबीएसई बोर्ड से पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स की संख्या ज्यादा है. सीबीएसई नेटवर्क सरकारी और कई निजी स्कूलों को कवर करता है. आईसीएसई प्राइवेट बोर्ड है. इस बोर्ड से संबद्ध स्कूल ग्रामीण इलाकों में नहीं हैं. 

दोनों बोर्ड के सिलेबस में क्या अंतर है?

सीबीएसई सिलेबस से बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिलती है, जबकि आईसीएसई में इंग्लिश पर अच्छी कमांड और एनालिटिकल स्किल्स पर फोकस रहता है. आईसीएसई इंटरनेशनल एजुकेशन स्टैंडर्ड को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है, जबकि सीबीएसई सिलेबस NCERT पर आधारित होता है, जिससे नीट और जेईई परीक्षा में बेहतर स्कोर करने में मदद मिलती है.

कौन सा बोर्ड स्कूल है ज्यादा फ्लेक्सिबल?

सीबीएसई की अपेक्षा आईसीएसई का सिलेबस ज्यादा बड़ा और टफ है. आईसीएसई और आईएससी बोर्ड से संबद्ध सभी स्कूलों में मोड ऑफ कम्युनिकेशन सिर्फ इंग्लिश रहता है. जबकि, सीबीएसई बोर्ड इस मामले में फ्लेक्सिबल हैं, जहां हिंदी और इंग्लिश दोनों माध्यमों में पढ़ाई होती है. आईसीएसई बोर्ड सिलेबस काफी चुनौतीपूर्ण माना जाता, क्योंकि इसकी इंग्लिश कठिन होती है. 

किस बोर्ड से संबद्ध स्कूल होते हैं ज्यादा महंगे?

सीआईएससीई बोर्ड से संबद्ध स्कूलों की फीस ज्यादा होती है. इन प्राइवेट स्कूलों के खर्च पर सरकार का खास कंट्रोल नहीं रहता. वहीं, सीबीएसई बोर्ड की फीस आईसीएसई की तुलना में कम होती है. हालांकि, फीस कम या ज्यादा होने के कुछ अहम फैक्टर्स होते हैं, जैसे शहर, लोकेशन और स्कूल की प्रतिष्ठा आदि. 

2024-05-07T04:40:35Z dg43tfdfdgfd