DARBHANGA LOK SABHA: दरभंगा में इस बार 'पचपोनियां' तय करेंगे जीत और हार, जातीय गणित में उलझे सियासी समीकरण

दरभंगा: दरभंगा लोकसभा का चुनाव इस बार राजद के साथ सीधी टक्कर की राह उतरता दिख रहा है। भाजपा का गढ़ इसलिए कि 1999 के लोकसभा में पहली बार भाजपा के उम्मीदवार प्रख्यात क्रिकेट खिलाड़ी और पूर्व सीएम भागवत झा आजाद के पुत्र कीर्ति आजाद ने जीत दर्ज की थी। और तब से केवल, 2004 लोकसभा का चुनाव छोड़ दें तो भाजपा का लगातार परचम लहराता रहा है। हालांकि तीन बार दरभंगा का प्रतिनिधित्व कर चुके कीर्ति आजाद को टिकट न दे कर वर्ष 2019 की लोकसभा चुनाव में गोपाल जी ठाकुर को चुनावी जंग में उतारा। इसका फायदा भी हुआ। और चुकी वर्ष 2019 में गोपाल जी ठाकुर ने राजद के बड़े नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी को काफी मतों के अंतर से हराया था इसलिए भाजपा के रणनीकारों ने वर्ष 2024 लोकसभा चुनाव के लिए आपने सीटिंग सांसद गोपाल जी ठाकुर को ही मौका दिया। यह दीगर कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने इस बार जीत दर्ज करने के लिए अपनी राजनीतिक बिसात पर नया मोहरा पूर्व मंत्री ललित यादव को आजमाया है।

कौन हैं गोपाल जी ठाकुर!

एक आम कार्यकर्ता के रूप में राजनीतिक सफर शुरू करने वाले गोपाल जी ठाकुर की दक्षता को देखते हुए भाजपा का जिलाध्यक्ष बनाया गया। फिर गोपाल जी ठाकुर को पहली बार विधान सभा के जंग में उतारा गया। वर्ष 2010 के विधानसभा में गोपाल जी को बेनीपुर विधानसभा से टिकट मिला और जीते भी। पर 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। बावजूद वे पार्टी में सक्रिय रहे। और इस वजह से उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ने की जिम्मेवारी वह भी कीर्ति आजाद को हटाकर। हालांकि तब भाजपा की इस कदम की काफी आलोचना हुई। लेकिन भाजपा उम्मीदवार के रूप में गोपाल जी ठाकुर ने राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी को 2,67,979 मतों के अंतर से हराया। तब गोपाल जी ठाकुर को 5,86,668 मत मिले और सिद्दीकी को 3,58,689 मत मिले। गोपाल जी ठाकुर ने कीर्ति आजाद से लगभग 27 प्रतिशत ज्यादा वोट लाया था। और शायद इसी वजह से गोपाल जी ठाकुर को दूसरी बार दरभंगा से चुनाव लड़ाने का फैसला किया है।

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कौन हैं ललित यादव?

ललित यादव एक समाजवादी नेता है जो राजद सुप्रीमो लालू यादव के काफी करीबी रहे हैं। अब पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी इन पर भरोसा करने लगे है। दरभंगा ग्रामीण से लगातार छह बार से चुनाव जीतने का कारण इन्हें भाजपा उम्मीदवार गोपाल जी ठाकुर के विरोध दरभंगा लोकसभा के चुनावी जंग में उतारा है। पहली बार वर्ष 1995 में दरभंगा ग्रामीण से विधायक चुने गए। फिर वे वर्ष 2000, 2010, 2015, 2020 लगातार छह बार विधायक चुने गए। वर्ष 2022 में वे नीतीश मंत्रिमंडल में पीएचईडी मंत्री भी रहे।

जीत तय करते पचपोनिया

ऐसा नहीं कि दरभंगा लोकसभा के लिए एमवाई समीकरण कोई मायने नहीं रखते, लेकिन अब केवल एमवाई समीकरण से ही जीत हासिल नहीं हो सकती। यह बात पिछले कुछ लोकसभा चुनाव में दिखा कि पचपोनिया (55 छोटी छोटी जातियों का समूह) को साध कर भाजपा के रणनीतिकार 2009 लोकसभा चुनाव से लगातार जीत रहे हैं। वर्ष 2009 और 2014 में कीर्ति आजाद ने परचम लहराया तो वर्ष 2019 में गोपाल जी ठाकुर ने। ब्राह्मणों के दवदवा वाले इस सीट पर भाजपा ने फिर ब्राह्मण उम्मीदवार गोपाल जी ठाकुर को दूसरी बार मौका दिया है।

दरभंगा के वोटर

दरभंगा लोकसभा में तकरीबन 4 लाख से ज्यादा ब्राह्मण वॉट्स हैं। मुस्लिम 3 लाख वोट के साथ दूसरे नंबर पर हैं। इसके अलावा मल्लाह जाति के मतदाता करीब 2 लाख जबकि एससी-एसटी के ढाई लाख से ज्यादा वोटर्स हैं। वहीं यादव मतदाताओं की संख्या करीब 1 लाख 60 हजार है। इन जातीय समीकरण को देखते राजद में एमवाई समीकरण के साथ BAAP समीकरण पर भरोसा किया है। अब अपने अपने समीकरण की लड़ाई में कौन आगे जाता है यह तो परिणाम बताएगा। हालांकि चुनाव 13 मई को है,इस बीच रणनीति कौशल का प्रदर्शन जिसका अच्छा रहेगा चुनाव इनके पक्ष में जाता दिखेगा।

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2024-05-08T13:11:08Z dg43tfdfdgfd