GOA ILLEGAL LAND ACQUISITION: अवैध भूमि अधिग्रहण के 93 मामले, लेकिन FIR सिर्फ 22 पर! CM प्रमोद सावंत पर हमलावर हुआ विपक्ष, लगाए गंभीर आरोप

Goa Illegal Land Acquisition Cases: गोवा में एक बार फिर अवैध भूमि अधिग्रहण का मामला गरमाया हुआ है. अवैध भूमि अधिग्रहण मामले में विपक्ष के हमलावर रवैये ने गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. विपक्ष लगातार इस मुद्दे को उठा रहा है और मुख्यंमंत्री प्रमोद सावंत की आलोचना कर रहा है. 

गोवा के फतोर्दा विधानसभा क्षेत्र से विधायक विजय सरदेसाई ने गोवा में भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर अपने वादों को पूरा करने में असफल रहे मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत पर राजनैतिक हमला किया है. सरदेसाई ने आरोप लगाते हुए कहा, 'जांच के लिए नियुक्त एक सदस्यीय आयोग आया, कमीशन लिया और चला गया.' 

कितने मामलों में दर्ज हुई एफआईआर?

गोवा के फतोर्दा विधानसभा क्षेत्र से विधायक विजय सरदेसाई ने जांच के लिए नियुक्त आयोग के सीमित अधिकार क्षेत्र पर भी सवाल खड़े किए. विजय सरदेसाई ने कानूनी कार्यवाहियों में धीमी प्रगति की भी आलोचना की और बताया कि भूमि हड़पने के 93 मामलों में से केवल 22 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई हैं. इसी मुद्दे पर विपक्ष लगातार राज्य सरकार और मुख्यंमंत्री प्रमोद सावंत पर निशाना साध रहा है. 

सीएम सावंत ने किया था ये वादा

गौरतलब है कि अगस्त 2020 में, एक कार्यक्रम में सीएम सावंत ने गोवा के लोगों को आश्वासन दिया था कि भूमि हड़पने वालों ने जिन भी लोगों की जमीन हड़पी और बेची, उन सभी की जमीन को एसआईटी उसके असली मालिकों को वापस करेगी. विपक्ष का आरोप है कि करीब चार साल बाद भी यह वादा काफी हद तक अधूरा है, जिसकी वजह से विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है. 

अभी और तूल पकड़ेगा मामला

सत्ताधारी पार्टी भाजपा के विधायक नीलेश कैबरल ने भी सरदेसाई के आरोपों को दोहराया और कहा कि अगर एसआईटी (SIT) होने के बाद भी अदालत जाने की जरूरत है, तो एसआईटी का क्या उपयोग है? जाहिर है ये मामला गोवा की राजनीति में अभी और तूल पकड़ सकता है.

बता दें कि न्यायमूर्ति वीके जाधव (रिटायर्ड) की अगुआई में एक सदस्यीय आयोग को जून 2022 में गठित किया गया था. जनवरी 2023 में आयोग की पहली बैठक हुई, जब अपराध शाखा की एसआईटी ने गोवा में 1.5 लाख वर्ग मीटर के 93 भूखंडों से जुड़े भूमि हड़पने के 111 मामले दर्ज किए. हालांकि, यह व्यापक जांच व्यर्थ प्रतीत होती है, क्योंकि ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. आयोग ने 1 नवंबर 2023 को सीएम सावंत को अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने के बावजूद, इस मामले में कोई खास कार्रवाई नहीं हुई.

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