INFLATION IN INDIA: तापमान में बढ़ोतरी और वैश्विक तनाव के चलते बढ़ सकती है भारत में महंगाई

Inflation In India Update: आरबीआई ने अपने मंथली बुलेटिन में मौसम में हो रहे बदलावों और वैश्विक तनाव को महंगाई के घटने की राह में सबसे बड़ा जोखिम करार दिया है. मौसम विभाग ने अपने अनुमान में कहा है कि इस गर्मी के सीजन में बेहद ज्यादा तापमान देखने को मिल सकता है. अप्रैल का महीना खत्म भी नहीं हुआ है और उसका असर अभी से दिखने लगा है. तो ईरान और इजरायल के बीच तनाव , महंगाई की आग में घी डालने का काम कर रही है. और यही चिंता आरबीआई को भी सता रही है.  

खाद्य महंगाई का जोखिम

मौजूदा वर्ष के पहले तीन महीनों जनवरी से मार्च के बीच खुदरा महंगाई दर में लगातार गिरावट देखने को मिली है. 12 अप्रैल 2024 को सांख्यिकी मंत्रालय ने मार्च महीने के लिए जो महंगाई का डेटा जारी किया उसमें खुदरा महंगाई दर 5 फीसदी से नीचे घटकर 4.85 फीसदी पर आ गई जो आरबीआई के 4 फीसदी तक इसे लाने के लक्ष्य से कुछ ही दूरी पर है. दिसंबर 2023 में खुदरा महंगाई दर 5.7 फीसदी पर थी. वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में महंगाई दर औसतन 5 फीसदी रही है. पर खाद्य वस्तुओं की महंगाई का जोखिम बना हुआ है.  

100 डॉलर/बैरल तक जा सकता है कच्चा तेल 

आरबीआई बुलेटिन में कहा गया है कि इस गर्मी के सीजन में खाद्य महंगाई को लेकर बेहद सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि खाद्य वस्तुओं की महंगाई बड़ा झटका दे सकती है. आरबीआई लेख के मुताबिक असमान्य मौसम महंगाई के लिए तो खतरा है ही पर साथ में लंबे समय से चली आ रही जियो-पॉलिटिकल टेंशन के कारण कच्चे तेल के दामों में उतार - चढ़ाव बनी रह सकती है. हाल ही में कच्चा तेल 91 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंचा था और कई जानकार तो इसके 100 डॉलर प्रति बैरल तक जाने की भविष्यवाणी कर रहे हैं.  

एमपीसी ने भी जताई खाद्य महंगाई पर चिंता 

पिछले हफ्ते ही आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 की पहली मॉनिटरी पॉलिसी बैठक के मिनट्स जारी कर बताया कि बैठक के दौरान सदस्यों ने खाद्य महंगाई पर सबसे बड़ा रिस्क करार दिया है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि महंगाई को लेकर बेहद सजग रहने की जरूरत है. तो एमपीसी के दूसरे सदस्य माइकल देबब्रत पात्रा ने कहा, मौजूदा महंगाई के असर और खाद्य महंगाई दर को लेकर जो डेटा सामने आ रहा है वो बताने के लिए काफी है कि खाद्य महंगाई का जोखिम बना हुआ है. उन्होंने मई 2024 तक तापमान में बढ़ोतरी के चलते कीमतें बढ़ने की भविष्यवाणी भी की है. 

महंगाई बढ़ने का क्या होगा असर 

खाद्य वस्तुओं और कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी के चलते महंगाई बढ़ी तो साल 2024 में महंगे कर्ज से राहत मिलने की जो उम्मीद जाहिर की जा रही है वो संभव नहीं हो सकेगा. उसपर से महंगाई दर में बढ़ोतरी से लोगों के बचत पर डाका पड़ेगा. पहले कई आर्थिक जानकारों से लेकर एजेंसियों ने 2024 की दूसरी छमाही में आरबीआई की ओर से पॉलिसी रेट्स में कटौती किए जाने की संभावना जाहिर की थी. लेकिन क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल टेंशन के मद्देनजर फिलहाल आरबीआई अपने पॉलिसी रेट में बदलाव करने का कोई जोखिम नहीं लेगा.  

पिछले ही हफ्ते मॉर्गन स्टैनली (Morgan Stanley) के अर्थशास्त्रियों ने अपने नोट में कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से अपने पॉलिसी रेट्स यानि रेपो रेट में कटौती किए जाने के आसार बेहद कम है. मॉर्गन स्टैनली की अर्थशास्त्री उपासना चाचरा और बानी गंभीर ने अपने नोट में लिखा, 2024 - 2025 में आरबीआई अपने पॉलिसी रेट्स में कोई बदलाव नहीं करेगा और आरबीआई का रेपो रेट 6.5 फीसदी पर बरकरार रहेगा. 

7 MPC बैठक में रेपो रेट में बदलाव नहीं

मई 2022 में खुदरा महंगाई दर के 7.8 फीसदी तक जाने के बाद आरबीआई ने महंगाई पर लगाम कसने के लिए रेपो रेट को बढ़ाना शुरू किया और अगले छह पॉलिसी बैठकों में इसे 4 फीसदी से बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया. लेकिन पिछले सात मॉनिटरी पॉलिसी की बैठकें हुई है उसमें आरबीआई ने अपने पॉलिसी रेट्स में कोई भी बदलाव नहीं किया है. लेकिन खाद्य महंगाई, कच्चे तेल के दामों में उछाल से महंगाई के बढ़ने के जोखिम ने कर्ज के सस्ता होने की उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया है. 

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