INTIMACY COORDINATION IN BOLLYWOOD: सेट पर कैसे शूट होता है बोल्ड सीन, कौन होता है इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर, क्या होता है काम, जानें सबकुछ

बॉलीवुड में इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर की देखरेख में इंटीमेट सीन शूट करने के लिए  ट्रेंड बढ़ता जा रहा है. कोई भी लव सीन शूट करने के लिए पहल गाइड लाइन तय होती है, उसके बाद सीन शूट किया जाता है. पहली बार फिल्म 'गहराइयां' में इंटीमेट सीन शूट करने के लिए इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर की सहायता ली गई थी. इस फिल्म में इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर की भूमिका आस्था खन्ना ने निभाया था. इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर को इंटीमेसी डायेक्टर भी कहते हैं. बॉलीवुड में पहले इस तरह का इस तरह का प्रयोग भारत में नया-नया है. 

इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर आस्था खन्ना-

आस्था खन्ना बॉलीवुड की पहली इंटीमेंसी कोऑर्डिनेटर हैं. उन्होंने फिल्म 'गहराइयां' में शानदार काम किया है.  इस फिल्म में दीपिका पादुकोण और सिद्धांत चतुर्वेदी के बीच कई इंटीमेट सीन थे और उन्होंने बेहतरीन काम किया है. अगर आस्था इस फिल्म में दोनों के बीच कमेस्ट्री को ठीक से पेश नहीं कर पातीं तो फिल्म फ्लॉप हो जाती. इस फिल्म के अलावा भी आस्था ने कई प्रोजेक्ट्स में इंटीमेंसी डायेक्टर के तौर पर काम किया है.

क्या होता है इंटीमेसी कोऑर्डिनेशन-

जिस तरह से फिल्मों में एक्शन सीन शूट करने के लिए स्टंट डायरेक्टर की जरूरत होती है, उसी तरह से इंटीमेट सीन शूट करने के लिए इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर की जरूरत होती है, जो भी का अहम हिस्सा होते हैं. किसी भी इंटीमेस सीन को शूट करने के लिए कोऑर्डिनेटर पहले पूरी गाइड लाइन तय करते हैं और उसी के मुताबिक एक्टर्स सीन को शूट करते हैं. फिलहाल अभी बॉलीवुड में ये कॉन्सेप्ट नया है. लेकिन अब धीरे-धीरे इसका चलन बढ़ता जा रहा है. 

पहले इंटीमेट सीन कैसे होत थे शूट-

70 और 80 के दशक में बॉलीवुड की फिल्मों में फूलों के चूमने के जरिए इंटीमेसी को दर्शाया जाता था. उसके बाद 90 और 2000 के दशक की शुरुआत में किसिंग सीन दिखाए जाने लगे. साल 1996 में आई आमिर खान और करिश्मा कपूर की फिल्म राजा हिंदुस्तानी का एक किसिंग सीन खूब चर्चा में रहा था. उस समय इस तरह का सीन शूट करना आसान नहीं था. सेक्स सीन शूट किए जाने को लेकर कोई चर्चा नहीं होती थी. इंटीमेट सीन कैसे शूट होगा? ये ज्यादातर एक्टर्स पर छोड़ दिया जाता था. फिल्मों को यथासंभव वास्तविक बनाने के प्रयास में इसमें बदलाव की जरूरत महसूस हुई.

इंटीमेसी डायरेक्टर का क्या होता है काम-

जिस तरह फिल्म के सेट पर एक्शन सीन शूट करने के लिए स्टंट डारयेक्टर, बेहतर लाइटिंग के लिए लाइटमैन और सेट के लिए प्रोडक्शन डिजाइनर की जरूरत होती है, उसी तरह से इंटीमेट सीन को वास्तविक रूप से कैद करने के लिए इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर की जरूरत होती है. इसके साथ ही एक्टर्स के लिए सेफ और काम के लिए आरामदायक माहौल बनाना भी जरूरी है. इस जगह इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर की जरूरत पड़ती है और आस्था खन्ना जैसे कोऑर्डिनेटर ये रोल बखूबी निभा रही हैं.

कभी भी फिल्म में इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर डायरेक्टर की जगह नहीं लेते हैं. लेकिन जब इंटीमेट सीन शूट करना होता है तो इसकी जिम्मेदारी इंटीमेसी डायरेक्टर लेते हैं. वो एक्टर्स को सहज और सुरक्षित महसूस कराते हैं. जिससे एक्टर्स को इंटीमेट सीन को समझने का मौका मिलता है. जिसका नतीजा सीन ज्यादा रियलिस्टिक होता है.

इंटीमेसी डायरेक्टर की क्यों है जरूरत-

जिस तरह से किशोरों को सुरक्षित रखने के लिए सेक्स के बारे में बातचीत होना जरूरी है, उसी तरह से सेट पर एक्टर्स के साथ भी इंटीमेट सीन की चर्चा जरूरी है और ये काम इंटीमेसी डायरेक्टर बेहतर तरीके से करते हैं.

इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर सीन शूट में शामिल सभी एक्टर्स की सीमाएं और अपेक्षाएं तय करने में मदद करते हैं. इसमें सीन की प्रकृति, फिजिकल इंटीमेसी का लेवल और कलाकारों का कोई कंसर्न या लिमिटेशन शामिल है.

Tally’s Folly और Stick Fly जैसे पॉपुलर थिएटर प्रोजेक्ट्स की इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर और फिल्म निर्माता लॉरा रिकार्ड (Laura Rikard) ने इंडिया टुडे डिजिटल को बताया कि इंटीमेसी एक्सपर्ट को फिल्म क्रू का हिस्सा होने की जरूरत नहीं है. लेकिन जरूरत पड़ने में उनका इस्तेमाल होना चाहिए. उन्होंने बताया कि एक अच्छा इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर यह साफ करने में मदद करता है कि एक्टर से क्या करने के लिए कहा जा रहा है और एक्टर को बिना किसी डर के अपनी जरूरत की चीजें मांगने में मदद करने में मदद करता है.

आस्था खन्ना भारद्वाज का कहना है कि एक इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर फिल्म मेकर का बोझ हलका कर देता है. आस्था ने बताया कि एक अच्छा इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर बातचीत और एक्टिंग का आरामदायक माहौल बनाता है और फिल्म मेकर, डायरेक्टर्स और प्रोड्यूसर्स को भरोसा दिलाते हैं कि वे ऐसा माहौल नहीं बना रहे हैं, जो जोखिम भरा हो सकता है.

ज्यादातर इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर सेट पर जेंडर-फ्री शब्दों का इस्तेमाल करते हैं. जैसे- स्तनों और नितंबों की जगह ऊपरी छाती और पीठ का इस्तेमाल किया जाता है.

कॉन्ट्रैक्ट की जिम्मेदारी भी कोऑर्डिनेटर की होती है-

इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर कॉन्ट्रैक्ट की कमियों का भी ध्यान रखता है. आस्था खन्ना बताती हैं कि प्रोड्यूसर्स के लिए यह बहुत ही फायदेमंद है, क्योंकि इंटीमेट सीन से जुड़ी तमाम कागजी कार्रवाई भी इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर को सौंप दी जाती है.

हर एक्टर के लिए एक न्यूडिटी राइडर या इंटीमेसी राइडर होता है, जिसे कॉन्ट्रैक्ट में डिफाइन किया जाता है. आस्था बताती हैं कि कॉन्ट्रैक्ट में इंटीमेट सीन के बारे में सबकुछ विस्तार से लिखा होता है. अगर कोई स्टोरीबोर्ड है तो वह अटैच किया जाता है और हर इंटीमेट सीन के लिए एक पेज बनाया जाता है, ताकि एक्टर को यह समझ में आ जाए कि उन्होंने उन चीजों की इजाजत दी है, जिसकी चर्चा हुई थी. अगर कोई एक्टर कहता है कि मैं सीन 32 में अपने साथी एक्टर को चूमने के लिए तैयार हूं. इसका मतलब ये नहीं है कि वो एक्टर आपके अचानक जोड़े गए सीन 76 में भी ऐसा करने के लिए सहमत है.

Me Too ने हालात बदलने में निभाई अहम भूमिका-

हालांकि हॉलीवुड में फिल्म क्रू के सदस्य इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर की भूमकिा निभाते थे, लेकिन Me Too आंदोलन से सबकुछ बदल गया. साल 2018 में मीटू आंदोलन और हॉलीवुड प्रोड्यूसर हार्वे वीनस्टीन के पतन से ये उजगार हुआ कि फिल्म इंडस्ट्री में यौन शोषण और उत्पीड़न किस तरह से भरा पड़ा है. लॉरा रिकार्ड बताती हैं कि इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर का काम पहले भी मौजूद था. लेकिन मीटू आंदोलन के कारण फिल्म जगत ने इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर की मान्यता दी.

न्यूयॉर्क फिल्म अकादमी में इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर और इंस्ट्रक्टर नेड्रा कॉन्स्टेंस गैलेगोस (Nedra Constance Gallegos) ने बताया कि मीटू के साथ महिलाएं आगे आने लगीं और अपनी आवाज में ताकत तलाशने लगीं. इसलिए हॉलीवुड ने अचानक सोचा कि हम पर मुकदमा चलेगा कि हमने अपने एक्टर्स की ठीक तरह से सुरक्षा नहीं की. उन्होंने बताया कि मुकदमों के डर से इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर के विचार को बल मिला.

भारत में मलयालम फिल्म उद्योग में यौन शोषण पर हेमा समिति की रिपोर्ट में भी खुलासा हुआ है कि इंडस्ट्री में यौन शोषण कितना व्यापक है. आस्था कहती हैं कि हमेशा से इसकी जरूरत रही है. लेकिन अब इस पर बातचीत शुरू हुई है. यह बहुत ही अच्छा है कि लोग समझते हैं कि एक्सपर्ट्स उपलब्ध हैं, जो सुरक्षित माहौल बना सकते हैं. ऐसा माहौल, जिसमें नियम, दिशा-निर्देश और मानक होंगे, जिसका इंटरनेशनल लेवल पर पालन किया जाएगा.

सेट पर कैसे काम करते हैं इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर-

इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर्स ने बताया कि शूटिंग के दिन वे एक्टर्स को बताते हैं कि पहले क्या चर्चा हुई थी. इसके साथ ही ये भी बताया जाता है कि सीन और कोरियोग्राफी कैसी होने वाली है और मॉडेस्टी गारमेंट्स और एंटी-अराउजल बैरियर्स का इस्तेमाल किया जाएगा. आस्था बताती हैं कि न्यूडिटी के सीन के लिए मॉडेस्टी गारमेंट का इस्तेमाल होता है और नकली सेक्स वाले सीन के लिए एंटी-अराउजल बैरियर्स का इस्तेमाल होता है. इन सींस को शूट करने के लिए अलग-अलग उपकरणों के कॉम्बिनेशन और परम्युटेशन का इस्तेमाल होता है. ये सारे उपकरण इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर की किट का हिस्सा होते हैं.

ज्यादातर इंटीमेट सीन एक बंद सेट में कम से कम क्रू, एक्टर, डायरेक्टर और इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर के साथ फिल्माया जाता है.

(अनिंदिता मुखोपाध्याय की रिपोर्ट)

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