JANJGIR-CHAMPA NEWS :हाथी की चाल से होगा सह और मात का फैसला

नईदुनिया प्रतिनिधि , जांजगीर- चांपा : जांजगीर चांपा लोकसभा में भाजपा और कांग्रेस के बीच सह और मात का फैसला हाथी की चाल से तय होगा। विधानसभा चुनाव में इस बार बसपा का वोट शेयर इस लोकसभा में 10.7 फीसदी ही रहा। जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में 25.1 फीसदी वोटों के साथ बसपा ने दो सीटें भी हासिल की थी। इस बार विधानसभा में बसपा के वोटों का ग्राफ गिरा है और उसके वोट कांग्रेस को मिलने से लोकसभा के सभी आठों विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के ही विधायक हैं। मतदान कल होगा। प्रचार थम चुका है। कांग्रेस से यहां पूर्व मंत्री डा.शिवकुमार डहरिया और भाजपा से कमलेश जांगड़े मैदान में हैं। जबकि बसपा से पार्टी के जिलाध्यक्ष डा.रोहित डहरिया उम्मीदवार हैं।

लोकसभा क्षेत्र के सक्ती में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चांपा में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की आम सभा हो चुकी है। वहीं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सभा जांजगीर, पहरिया, शिवरीनारायण, लवन में हो चुकी है। चुनाव में दोनों दलों ने खूब प्रचार किया । उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा भी लोकसभा क्षेत्र में डटे रहे मगर चुनाव में क्षेत्र के बड़े मुद्दे गायब हैं। मोदी की गारंटी और कांग्रेस की न्याय योजना की ही चर्चा चुनावी मंचों के अलावा गाहे बगाहे चौपालों में हो रही है। इसके अलावा मंचों सेएक दूसरे पर शब्द बाण भी चले। मतदाताओं को टटोलने पर वे अपनी समस्या जरूर बताते हैं पर उनका कहना है कि ये समस्याएं वर्षों से यथावत है। पामगढ़ विधानसभा के पनगांव के जोहितराम का मानना है कि पलायन क्षेत्र वासियों की मजबूरी है। इस दिशा में पहल नहीं हो रही है। इसके कारण लोगों को रोजगार की तलाश में पंजाब, जम्मू कश्मीर और अन्य प्रदेश पलायन करना पड़ता है। लोकसभा के हर विधानसभा में अलग अलग मुद्दे हैं। अकलतरा, जांजगीर चांपा और बिलाईगढ़ विधानसभा में सैकड़ों पत्थर खदान और क्रशर हैं। पूरे लोकसभा में दो सौ से अधिक राइसमिल और दर्जनभर बड़े छोटे उद्योगों से प्रदूषण फैल रहा है। अकलतरा, बलौदा क्षेत्र में कई कोलवाशरी संचालित हैं जहां पर्यावरण की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया जाता इससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। कोयला लोड वाहनों की आवाजाही से कोयले के कण सड़क पर गिरने और धूल बनकर हवा में उड़ने से वायु गुणवत्ता सूचकांक भी प्रभावित हुआ है।

वहीं उद्योगों से निकलने वाले फ्लाईएश को कहीं भी डंप कर दिए जाने से भी प्रदूषण बढ़ रहा है। नदी नालों के किनारे, लोगों के खेत और सड़क किनारे बेतरतीब ढंग से डंप किए जाने से जल व मिट्टी प्रदूषण भी बढ़ा है मगर पर्यावरण विभाग द्वारा इस दिशा में समुचित कार्रवाई नहीं की जाती है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि इस दिशा में जनप्रतिनिधियों को आवाज बुलंद करना चाहिए लेकिन वे कुछ नहीं करते। अकलतरा, जांजगीर, चांपा और सक्ती जैसे बड़े शहरों में पेयजल आपूर्ति बड़ी समस्या है। जल आवर्धन योजना का काम अकलतरा और जांजगीर में बंद हैं। लोकसभा क्षेत्र में सिटी बसें बंद है। वहीं क्षेत्र के पांच विधानसभा क्षेत्रों में रेल सुविधा नहीं है। जांजगीर चांपा, अकलतरा और सक्ती विधानसभा रेल सुविधाओं से जुड़े हैं मगर यहां के स्टेशनों में भी पर्याप्त एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव नहीं होता है। उन्हें मलाल इस बात का भी है कि उनकी ये समस्याएं सदन तक तो पहुंचती नहीं चुनाव में भी मुद्दे नहीं बन पाते।

लोकसभा में हो जाता है उलटफेर

लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस का वोट शेयर 39.06 फीसदी था। जबकि बीजेपी का वोट शेयर 46.03 फीसदी था। बसपा को भी 10.06 प्रतिशत वोट मिले थे। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर इस लोकसभा में 45.09 प्रतिशत था। जबकि बीजेपी का वोट शेयर 35.06 प्रतिशत था। बसपा 10.07 प्रतिशत में सिमट गई। जबकि वर्ष 2018 के विधानसभा में उसे 25.01 फीसदी वोट मिलेथे। इस तरह बसपा का जनाधार विधानसभा चुनाव में पिछले विधानसभा की अपेक्षा कम हुआ है। लोकसभा में बसपा का वोट शेयर गिर जाता है और ये वोट जिधर जाते हैं उसी पार्टी का पलड़ा भारी होता है। पिछले बीस साल से भाजपा के ही उम्मीदवार जीत रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को आठ में से मात्र दो सीटे मिली थी। जबकि चार में कांग्रेस और दो में बसपा उम्मीदवार जीते थे। इसके बाद भी लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी गुहाराम अजगल्ले की जीत हुई थी।

कमलेश जांगड़े - भाजपा

मजबूती

कमलेश जांगड़े नई उम्मीदवार हैं। वे पार्टी में लंबे समय से सक्रिय रही हैं। जमीनी स्तर का कार्यकर्ता होने से लोगों से सीधा संवाद में परेशानी नहीं हो रही है। केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार के कार्यों को लेकर जनता के बीच जा रही हैं। पढ़ी लिखी और मिलनसार भी हैं।

चुनौतियां

दो बार सरपंच रही हैं। बड़े चुनाव लड़ने का अनुभव नहीं है। बड़े मंचों पर उद्बोधन और जनता के बीच अपनी बात बेबाकी से रखने के लिए पार्टी के नेताओं का सहारा लेना पड़ता है।

डा. शिवकुमार डहरिया - कांग्रेस

मजबूती

लोकसभा के आठों विधानसभा में कांग्रेस के विधायक हैं। डा.डहरिया तीन बार विधायक और एक बार कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। जनता और कार्यकर्ताओं के बीच लंबे समय से हैं इसलिए संवाद में कोई समस्या नहीं होती ।

चुनौतियां

विरोधी दल द्वारा बाहरी होने का आरोप उन पर लगाया जाता है। वे इस लोकसभा क्षेत्र से नहीं है इसकी चर्चा भाजपा के नेता हर मंच पर करते हैं। लोकसभा के अधिकांश विधानसभाओं में कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर भाजपा में जा चुके हैं।

2024-05-05T18:53:20Z dg43tfdfdgfd