PARSHURAM JAYANTI 2024: कौन थे परशुराम और क्यों प्रसिद्ध है उनका शस्त्र? यहां पढ़ें कथा

Parshuram Jayanti 2024: रामायण की कथा के अनुसार जब सीता स्वंयवर में भगवान श्री राम के हाथों से धनुष टूट गया था तो परशुराम जी सभी में क्रोधित आए और क्रोधित हुए. यह कहानी तो सभी ने सुनी व पढ़ी होगी लेकिन क्या आप जानते हैं कि परशुराम जी कोई साधारण मनुष्य नहीं बल्कि भगवान विष्णु का ही अवतार थे? हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है जो कि इस साल 10 मई 2024 को है. परशुराम जी को परशुराम नाम कैसे मिला और उनका हाथ में मौजूद शस्त्र आखिर क्यों लोकप्रिय है? इसके पीछे बेहद ही रोचक कथा छिपी हुई है.

भगवान विष्णु का छठा अवतार हैं परशुराम जी

हिंदी धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु का छठा अवतार भगवान परशुराम हैं और उनका जन्म वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की रात को पहले प्रहर में हुआ था. भगवान विष्णु ने सतयुग में परशुराम के रूप में अवतार लिया ताकि धरती पर मौजूद पापियों का नाश कर सकें. वहीं भगवान राम का जन्म त्रेता युग में हुआ था और सीता स्वंयवर के दौरान परशुराम जी और भगवान राम आमने-सामने आए.

कैसे मिला परशुराम नाम?

ग्रंथों के अनुसार सतयुग में जब भगवान विष्णु ने एक ब्राह्मण कुल में जन्म लिया तो उनका नाम राम रखा गया. वह भगवान शिव के परम भक्त थे और शिवजी ने उनकी अराधना से प्रसन्न होकर उन्हे अपना परशु नामक अस्त्र दिया तो उनका नाम परशुराम हो गया. परशु नामक अस्त्र उनका मुख्य अस्त्र बन गया. परशुराम जी को अजर-अमर रहने का वरदान प्राप्त है और इसलिए वह हर युग में जन्में भगवान विष्णु के दूसरे अवतारों के साथ भी मौजूद रहे. भगवान राम और भगवान परशुराम सीता स्वंयवर में पहली बार मिले तब राम जी के हाथ में धनुष देखकर वह समझ गए कि धरती पर पाप का अंत करने के लिए त्रेता युग में राम का जन्म हो चुका है.

परशुराम जी का शस्त्र

शास्त्रों के अनुसार परशुराम जी ने एक ब्राह्मण कुल में जन्म लिया था और उन्हें दादा ऋचीक से शिक्षा प्राप्त हुई. वहीं पिता जमदग्नि से उन्हें शस्त्र चलाने की शिक्षा मिली. परशुराम जी को ब्राह्मण होने के नाते धर्म, वेद और पुराणों का पूर्ण ज्ञान था. इसके साथ ही वह नीति में भी पारंगत थे और अस्त्र-शस्त्र विद्या में भी उनका कोई मुकाबला नहीं था. परशुराम जी के हाथ में फरसा नामक एक शस्त्र विराजमान है. पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने उन्हें अधर्म का नाश करने के लिए फरसा नामक शस्त्र दिया. कहते हैं कि अपने इसी शस्त्र से परशुराम जी ने 36 बार हैहयवंशीय क्षत्रिय राजाओं का वध किया था.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. India.Com इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.

2024-05-09T13:37:57Z dg43tfdfdgfd