PM MODI MP VISIT: खरगोन और धार की सभा में स्थानीय मुद्दों पर भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की बात

PM Modi MP Visit: धार/ खरगोन, नईदुनिया प्रतिनिधि। चुनाव भले ही लोकसभा का है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उसी के प्रचार के लिए मंगलवार को खरगोन और धार लोकसभा क्षेत्र में आए थे लेकिन स्थानीय मुद्दों को भी उन्होंने पूरा महत्व दिया। उन्होंने निमाड़ी बोली में अभिवादन किया तो स्थानीय पर्यटन स्थलों में सुविधाएं बढ़ाने की भी बात की।

खरगोन में पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत में भारत माता की जय के साथ 'नर्मदे हर' भी कहा। एक नारा देते हुए बोले कि मैं बोलूंगा नर्मदे, आप कहना सर्वदे। निमाड़ी बोली में सबको 'राम-राम' किया। फिर बोले 'आरु काई हाल-चाल छै... सब मजाम छै'।

इसी तरह धार के पीजी कालेज मैदान पर खचाखच भरे सभामंडप में पहुंचते ही पीएम मोदी ने आदिवासी अंचल में कुशलक्षेम पूछने की परंपरा को निभाते हुए 'वारलू छे' का संबोधन दिया तो नर्मदा मैया के जयकारे भी लगवाए। उन्होंने बालीपुर धाम के संतों को भी प्रणाम किया।

पीएम मोदी ने खरगोन में कहा कि जब मैं कार्यकर्ता था तो सुबह होने वाली जनसभा से कतराता था। मुझे लगता था कि सुबह 10 बजे कौन आएगा। मैं आपको सौ-सौ बार सलाम करता हूं कि आप इतनी सुबह आ गए। माताएं-बहनें सुबह-सुबह आशीर्वाद देने आ गईं।

जय श्रीराम बोलने का भी कहा

पीएम मोदी अपनी सभा में सभी लोगों से उनका एक काम करने के लिए कहते हैं। उन्होंने सबसे कहा कि आप मेरा एक काम करेंगे। आप अपने गांव, मोहल्ले, आस-पास के घरों में जाइएगा और सबसे कहिएगा कि मोदी आया था और आपको जय श्रीराम कहा है।

भोजशाला, बाग की गुफाओं में सुविधाओं का विस्तार होगा

पीएम मोदी ने धार में कहा कि कांग्रेस ने उज्जैन के श्री महाकाल महालोक निर्माण का भी कदम-कदम पर विरोध किया। भोजशाला, बाग की गुफाएं, मांडू का जहाज महल जैसे जगहों पर सुविधाएं विस्तारित की जाएंगी।

स्वागत भाषण देते हुए मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि राजा भोज की नगरी में यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमारे बीच पधारे हैं। प्रधानमंत्री ने महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है। टंट्या मामा को सम्मान देते हुए उनके नाम पर विश्वविद्यालय भी शुरू किया गया है।

लोकतंत्र में चुनाव संस्कार की प्रक्रिया है

पीएम मोदी ने धार में कहा कि आज सुबह मैं मेरा कर्तव्य निभाने गया था। वोट डालकर आया हूं। मेरा हमेशा मत रहा है कि चुनाव को लोकतंत्र के उत्सव के रूप में मनाना चाहिए। जब चुनाव में उत्सव का माहौल बन जाता है तो मतदान तो बढ़ता ही है।

इससे 18 साल से कम उम्र के बच्चों को भी लोकतंत्र और चुनाव के महत्व के बारे में जानकारी मिलती है। एक प्रकार से चुनाव एक संस्कार की प्रक्रिया भी है। लोकतंत्र के प्रति समर्पण को और अधिक प्रभावी बनाने का यह उत्सव है।

2024-05-07T13:14:32Z dg43tfdfdgfd