SATYAJIT RAY BIRTH ANNIVERSARY: पैसे उधार लेकर सत्यजीत रे ने बनाई थी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ फिल्म 'पाथेर पांचाली'

पाथेर पांचाली, चारूलता, शतरंज के खिलाड़ी, महानगर, अपराजितो, जैसी शानदार फिल्में बनाने वाले सत्यजीत रे की आज बर्थ एनिवर्सरी है. सत्यजीत रे का जन्म 2 मई, 1921 को कलकत्ता में हुआ. उनके दादा, उपेन्द्रकिशोर रे एक प्रतिष्ठित लेखक, चित्रकार, वायलिन वादक और संगीतकार थे. सत्यजीत रे का बचपन कठिनाइओं में बीता. सत्यजीत जब छोटे थे तभी उनके पिता की मौत हो गई थी. प्रेसीडेंसी कॉलेज से पढ़ाई के बाद व आगे की पढ़ाई के लिए शांति निकेतन चले गए.   

महान निर्देशकों में होती है सत्यजीत रे की गिनती

अपने पूरे जीवनकाल में 37 फिल्में बनाने वाले सत्यजीत रे की गिनती महान फिल्मकारों में होती है. हालांकि उन्होंने लेखक और साहित्यकार के रूप में भी अपनी पहचान बनाई. सत्यजीत रे ने अपने करियर की शुरुआत विज्ञापन एजेंसी में बतौर जूनियर विजुवलायजर की. इसके बाद उन्होंने डिजाइनिंग का काम भी किया. कंपनी के काम से लंदन गए सत्यजीत से वहां के सिनेमा से इतने प्रभावित हुए कि निर्देशक बनने की ठान ली. उनकी पहली फिल्म थी पाथेर पांचाली. उनकी लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि ऑस्कर कमेटी उन्हें पुरस्कार देने खुद भारत आई थी.

उधार लेकर बनाई थी पहली फिल्म

सत्यजीत रे ने अपनी ज्यादातर फिल्में बंगाली में ही बनाई. उनकी कई फिल्मों को हॉलीवुड में अलग नाम से बनाया गया है. पाथेर पांचाली की सफलता के बाद उन्हें फिल्में बनाने में मजा आने लगा. 1981 तक वो हर साल एक फीचर लेंथ फिल्म बनाते थे. पाथेर पांचाली फिल्म बनाने के पीछे भी एक कहानी है. पाथेर पांचाली के निर्माण के लिए किशोर कुमार ने सत्यजीत रे को पांच हजार रुपए दिए थे. किशोर कुमार की पहली पत्नी रूमा गुहा ठाकुरता सत्यजीत रे की भतीजी थी. जब भी सत्यजीत रे ने पांच हजार रुपए लौटाने की कोशिश की तो, किशोर कुमार ने इनकार कर दिया. वे इस महान फिल्म से इसी नाते जुड़े रहना चाहते थे.

पाथेर पांचाली बनाने में लगे 5 साल

इस फिल्म को बनाने में रे को करीब 5 साल लग गए. क्योंकि उनके पास पैसे नहीं थे. बाद में बंगाल सरकार ने भी इस फिल्म को बनाने में उनकी आर्थिक मदद की. भूषण बंदोपाध्याय के उपन्यास पर आधारित इस फिल्म में एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार के बच्चे अपु की दुर्दशा को दर्शाया गया है. सत्यजीत रे ने अपू की भूमिका के लिए कई ऑडिशन लिए. बाद में अपनी पत्नी के कहने पर उन्होंने अपू के रोल के लिए पड़ोस के एक बच्चे सुबीर बनर्जी को कास्ट किया था. तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू की सिफारिश पर फिल्म को कान्स फिल्म फेस्टिवल में भेजा गया था. ये फिल्म आज भी दुनिया की बेहतरीन फिल्मों में गिनी जाती है.

पाथेर पांचाली

किशोर कुमार ने सत्यजीत रे की फिल्म चारुलता में गाना भी गाया था. बहुत कम लोग जानते हैं कि चारुलता में गाने के लिए किशोर कुमार ने उनसे कोई फीस नहीं ली थी. वो ये बात जानते थे कि सत्यजीत रे के पास पैसे नहीं थे. 

भारत रत्न से किया गया था सम्मानित

सिनेमा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए ही उन्हें विशेष ऑस्कर सम्मान दिया गया था. सत्यजीत रे को 1987 में फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रेंकोइस मिटरैंड द्वारा फ्रांस के सर्वोच्च सम्मान, कमांडर ऑफ द नेशनल ऑर्डर ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया था. सत्यजीत रे को जब ये सम्मान दिया जाना था वे बीमारी पड़ गए. ऐसे में वो विदेश यात्रा नहीं कर सकते थे. और इस वजह से फ्रांस के राष्ट्रपति Francois Mitterrand तो सत्यजीत रे को सम्मानित करने खुद कोलकाता आए थे. फिल्मों में उनके योगदान के लिए सन 1992 में उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न भी दिया गया.

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