UJJAIN LOK SABHA GROUND REPORT: उज्जैन के मन में अनिल या महेश...कहानी अभी शेष

Ujjain Lok Sabha Ground Report: ईश्वर शर्मा, नईदुनिया, उज्जैन। उज्जैन का मन इन दिनों थोड़ी ऊहापोह में है। 13 मई को यहां लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। शहरवासियों को मन तैयार करना है। भाजपा ने यहां अनिल फिरोजिया को फिर से टिकट दिया है, तो कांग्रेस के प्रत्याशी महेश परमार हैं। दिलचस्प यह है कि इस सीट पर कांग्रेस के पास महेश परमार ही अकेले ऐसा नेता हैं, जिनमें पार्टी को जीत सकने की मद्धम आंच दिखाई देती है।

बहरहाल, मंदिरों की इस नगरी का मन यूं तो शांत रहता है, लेकिन चुनाव हैं, इसलिए मंदिरों के ओटलों पर बैठे भक्तों से लेकर चौराहों पर चर्चा करने वालों तक के मन में कई प्रश्न हैं। यूं तो लोगों का झुकाव भाजपा की ओर दिखता है, किंतु कांग्रेस प्रत्याशी महेश परमार की सक्रियता लोगों को सोचने पर विवश कर रही है।

कैफे संचालक अजय राठौर कहते हैं- राष्ट्रीय मुद्दों और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के काम का लाभ भाजपा को मिलेगा, लेकिन बीते कुछ दिनों से कांग्रेस ने भी मैदान पकड़ा है। हो सकता है 10 प्रतिशत फ्लोटिंग वोटर स्थानीय भाजपा के समीकरण बिगाड़ दें।

छत्रीचौक स्थित शंकर मेडिकल के संचालक रवि आसवानी से जब यह पूछा जाता है कि अबकी बार उज्जैन से भाजपा या कांग्रेस? वे कहते हैं- इस बार कुछ कहा नहीं जा सकता। भाजपा के पास मजबूत संगठन है, तो कांग्रेस के पास सक्रिय प्रत्याशी। पिछली बार उज्जैन से भाजपा जीती थी, किंतु इस बार अतिआत्मविश्वास दिख रहे हैं।

वरिष्ठ साहित्यकार मुकेश जोशी इनसे अलग विचार रखते हैं। वे तर्क और तथ्य के आधार पर बात करते हुए कहते हैं- जनता को इस बात से ज्यादा मतलब नहीं है कि भाजपा का प्रत्याशी कौन है। लोग तो केवल मोदी का चेहरा, काम और गारंटी देख रहे हैं। सिंहपुरी निवासी डा. संध्या व्यास भी इस बात से इत्तेफाक रखती हैं।

हालांकि डा. व्यास की इस बात से महानंदानगर निवासी अनिकेत मिश्रा सहमत होते हुए भी थोड़े खफा हैं। वे कहते हैं- रोजगार और पर्यटन तो बढ़ा है, लेकिन भीड़ भी बहुत बढ़ गई है। स्थानीय लोगों को ऐसा लगने लगा है, जैसे उज्जैन अपना नहीं रहा बल्कि बाहर से आने वाले पर्यटकों का हो गया है।

उत्साह फूंकना दोनों ही पार्टियों के लिए चुनौती

विजय और पराजय, यदि दोनों सुनिश्चित लगने लगें, तो योद्धाओं का उत्साह गायब हो जाता है। इन दिनों उज्जैन में यही दिख रहा है। भाजपा के नेताओं से लेकर पदाधिकारी, कार्यकर्ता और समर्पित मतदाता तक भाजपा की जीत निश्चित मान रहे हैं। इसलिए इनमें अब युद्ध-भाव वाला उत्साह नहीं रहा। इधर, कांग्रेस पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं में भी कोई उत्साह नहीं दिखता क्योंकि अधिकांश को लगता है कि पार्टी हार ही जाएगी। माहौल इतना ठंडा है कि भाजपा और कांग्रेस के पार्टी कार्यालयों तक पर ज्यादा हलचल, तैयारी या झंडे-बैनर दिखाई नहीं दे रहे।

कम वोटिंग से खिलीं बांछें, पसरी चिंता

मध्य प्रदेश में दोनों चरणों में मतदान प्रतिशत अपेक्षा से काफी कम रहा। इससे कांग्रेस की बांछें खिल गई हैं और भाजपा में चिंता पसर गई है। इसकी पुष्टि करते हुए कांग्रेस समर्थक सुधीर कुमार कहते हैं- यह तो जाना-पहचाना पैटर्न है कि कम वोट पड़ा, मतलब कांग्रेस का कोर वोटर तो मतदान करने निकला ही है, किंतु भाजपा का वोटर नहीं निकला।

इधर, पहले दौर की कम वोटिंग ने भाजपा को चिंता में डाल दिया है। राजनीतिक विश्लेषक डा. सुशील खंडेलवाल कहते हैं- जहां 60 प्रतिशत ही वोटिंग हुई, मतलब 40 प्रतिशत लोग तो मैदान में आए ही नहीं। ऐसे में लड़ाई ठीक से कैसे लड़ी जाएगी।

पहले भी आमने-सामने रह चुके दोनों प्रत्याशी

वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में उज्जैन जिले की तराना विधानसभा सीट पर भाजपा ने फिरोजिया तो कांग्रेस ने परमार को टिकट दिया था। इस सीट पर इससे पहले फिरोजिया विधायक थे, किंतु परमार ने उन्हें कड़ी टक्कर देते हुए हरा दिया था। जीत का अंतर केवल 2209 वोट का था।

2024-04-27T22:37:32Z dg43tfdfdgfd