आज का शब्द: अधीर और महादेवी वर्मा की कविता- आई किसकी पुकार लय का आवरण चीर!

'हिंदी हैं हम' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- अधीर, जिसका अर्थ है- धैर्यरहित, घबराया हुआ, उद्विग्न। प्रस्तुत है महादेवी वर्मा की कविता- आई किसकी पुकार लय का आवरण चीर!

मिट चली घटा अधीर!

चितवन तम-श्याम रंग,

इन्द्रधनुष भृकुटि-भंग,

विद्युत् का अंगराग,

दीपित मृदु अंग-अंग,

उड़ता नभ में अछोर तेरा नव नील चीर!

अविरत गायक विहंग,

लास-निरत किरण संग,

पग-पग पर उठते बज,

चापों में जलतरंग,

आई किसकी पुकार लय का आवरण चीर!

थम गया मदिर विलास,

सुख का वह दीप्त हास,

टूटे सब वलय-हार,

व्यस्त चीर अलक पाश,

बिंध गया अजान आज किसका मृदु-कठिन तीर?

छाया में सजल रात

जुगुनू में स्वप्न-व्रात,

लेकर, नव अन्तरिक्ष;

बुनती निश्वास वात,

विगलित हर रोम हुआ रज से सुन नीर नीर!

प्यासे का जान ग्राम,

झुलसे का पूछ नाम,

धरती के चरणों पर

नभ के धर शत प्रणाम,

गल गया तुषार-भार बन कर वह छवि-शरीर!

रूपों के जग अनन्त,

रँग रस के चिर बसन्त,

बन कर साकार हुआ,

तेरा वह अमर अन्त,

भू का निर्वाण हुई तेरी वह करुण पीर!

घुल गई घटा अधीर!

2024-05-08T01:26:50Z dg43tfdfdgfd