किसानों ने 2-2 रुपए देकर बनाई थी SMITA PATIL, NASEERUDDIN SHAH और AMRISH PURI की सुपरहिट फिल्म MANTHAN, 48 साल बाद CANNES FILM FESTIVAL में होगी स्क्रीनिंग

गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF) द्वारा निर्मित 1976 की पुरस्कार विजेता, श्याम बेनेगल की फीचर फिल्म, "मंथन" को 77वें कान्स फिल्म फेस्टिवल 2024 में स्क्रीनिंग के लिए चुना गया है. बता दें कि, "मंथन" एकमात्र भारतीय फिल्म है, जिसे इस साल फेस्टिवल के कान्स क्लासिक सेक्शन के तहत चुना गया है.

GCMMF के मैनेजिंग डायरेक्टर जयेन मेहता ने कहा कि, “मंथन” भारत की श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीस कुरियन के अग्रणी दूध सहकारी आंदोलन से प्रेरित है. इस फिल्म का डेयरी सहकारी आंदोलन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है. इसने देशभर के लाखों किसानों को स्थानीय डेयरी सहकारी समितियां बनाने के लिए एक साथ आने के लिए प्रेरित किया और इसने दूध उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की यात्रा में बहुत बड़ा योगदान दिया है. मंथन फिल्म ने लोगों को यह विश्वास दिलाया कि, पशुपालन और दूध उत्पादन आजीविका का एक स्थायी और समृद्ध साधन हो सकता है. भारत 1998 में दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बन गया और तब से ही इसने यह स्थान बरकरार रखा है.

स्मिता पाटिल, नसीरुद्दीन शाह और अमरीश पुरी जैसे कलाकारों ने किया काम

स्मिता पाटिल, नसीरुद्दीन शाह, गिरीश कर्नाड और अमरीश पुरी जैसे अभिनेताओं द्वारा अभिनीत, मंथन फिल्म की कहानी गरीब किसानों के एक छोटे समूह के संघर्ष और जीत के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए एक डेयरी सहकारी समिति बनाने के लिए एक साथ आते हैं. इसमें एक असाधारण डेयरी सहकारी आंदोलन की शुरुआत की कहानी को दर्शाया गया है, जिसने वास्तव में भारत को दूध की कमी वाले देश से दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देश में बदल दिया.

किसानों ने दिया 2-2 रुपए का योगदान

10 लाख रुपये के बजट के साथ बनाई गई, मंथन पहली क्राउडफंडिंग भारतीय फिल्म भी थी, जिसमें GCMMF के उस समय के सभी 5 लाख डेयरी किसानों ने, इसकी उत्पादन लागत को पूरा करने के लिए प्रत्येक ने 2 रुपये का योगदान दिया था. यह फिल्म समुदाय-संचालित पहल की परिवर्तनकारी क्षमता को प्रदर्शित करती है और भारतीय सिनेमा की सामाजिक रूप से प्रासंगिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण अध्याय को चिह्नित करती है.

मिला था राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 

मंथन ने 1977 में हिंदी में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और विजय तेंदुलकर को सर्वश्रेष्ठ पटकथा के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था. यह 1976 में सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म के लिए अकादमी पुरस्कार के लिए भारत का प्रस्तुतीकरण भी थी.

आज दूध भारत की सबसे बड़ी कृषि फसल है और करोड़ों महिलाओं सहित 10 करोड़ से अधिक किसान अपनी आजीविका के लिए दूध पर निर्भर हैं. 10 लाख रुपये के बजट में बनी इस फिल्म की वार्षिक 10 लाख करोड़ रुपये का दूध उत्पादन उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका है.

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