ठीक नहीं हैं हालात पानी बचाइए जनाब

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। नमस्कार दोस्तों आशा और उम्मीद है कि आप सभी कुशलता पूर्वक होंगे. सुबह का वक्त है और आप पढ़ रहे हैं दैनिक जागरण आईनेक्स्ट प्रयागराज. आज हम आप को शहर एवं गांव से जुड़ी एक ऐसी खबर बताने जा रहे हैं, जिसे जानना आप सभी के लिए बेहद जरूरी है. यदि आप आने वाली पीढिय़ों का जीवन सिक्योर चाहते हैं तो आंकड़ों पर आधारित इस पूरी खबर को गंभीरता के साथ जरूर पढ़ें. क्योंकि लगातार हो रहे भू-गर्भ जल के दोहन व बर्बादी से वाटर लेवल डेंजर लेवल की तरफ तेजी से भाग रहा है. समय रहते यदि अभी से हम और आप पानी की बर्बादी को रोकने व वाटर रिचार्जिंग को लेकर संजीदा नहीं हुए, तो आने वाली पीढिय़ां बूंद-बूंद पानी के लिए तरस जाएंगी. भविष्य में दिखाई दे रहे जल संकट के हालात से जूझने वाली पीढिय़ां उस स्थिति में दिन रात मौजूदा लोगों को कोसने से खुद को नहीं रोक पाएंगी. इस लिए अभी भी वक्त है, आइए बच्चों के लिए पानी बजाया जाय.

100 वार्ड हैं नगर निगम एरिया के अंदर

20 वार्डों में वाटर सप्लाई का नहीं है प्रबंध

1700 किमी वाटर पाइप बिछाया है जलकल

236384 भवनों की संख्या है सिटी क्षेत्र के अंदर

1845772 पापुलेशन है नगर निगम सीमा क्षेत्र की

214732 वाटर सप्लाई कनेक्शन है सिटी क्षेत्र में

12 घंटे जलापूर्ति का दावा करते हैं अफसर

11 मोटर पम्प हैं सुचारु रूप से संचालित

342 बड़े व 322 मिनी नलकूप हैं शहर में

आप के लिए खास है यह रिपोर्ट

भू-गर्भ जल व जलकल विभाग की रिपोर्ट पर गौर करें तो शहर में पानी की खपत और बर्बादी दोनों ही बेहिसाब है. आंकड़ों और भू-गर्भ जल के हालात पर गौर करें तो प्रयागराज शहर के ज्यादातर इलाके अतिदोहित श्रेणी में आ चुके हैं. यहां पानी का लेवल तेजी से नीचे जा रहा है. हालात यही रहे तो आने वाले दिनों में कई एरिया रेड जोन में शामिल हो जाएंगे. यदि ऐसा हुआ तो यहां ट्यूबवेल तो दूर नल की बोरिंग कराना मुश्किल हो जाएगा. शहर के कुछ इलाके ऐसे भी हैं जहां ग्राउंड वाटर लेवल की स्थिति अभी भी थोड़ी बहुत सही बताई जा रही है. भू-गर्भ जल विभाग के आंकड़े शहर से गांव तक वाटर लेवल को लेकर हर किसी को अलर्ट करने वाले हैं. बात गांवों की करें तो दो ब्लाक चाका और सहसों एरिया में अति जलादोहन होने के कारण क्रिटिकल श्रेणी में आ चुके हैं. नौ ब्लाक ऐसे हैं जहां स्थिति अभी सेमी क्रिटिकल यानी क्रिटिकल से थोड़ा ऊपर है. विभागीय रिपोर्ट पर गौर करें तो 12 ब्लाकों की स्थितियां अभी सेफ हैं. मगर वहां के लोगों को भी दूसरे ब्लाकों की सिचुएशन को देखते पानी की बर्बादी व जलादोहन को लेकर सर्त रहने की जरूरी है.

एरियावाइज घटा ग्राउंड वाटर लेवल

ऋषिकुल जूनियर हाई स्कूल अशोक नगर 13.68 मीटर

श्याम लाल इंटर कॉलेज कसारी मसारी 13.09 मीटर व खुल्दाबाद एरिया में 15.75 मीटर

जलकल विभाग खुशरूबाग 9.40 मीटर और जूनियर हाई स्कूल उपरहार बमरौली 15.75 मीटर

इरीगेशन कालोनी गोविंदपुर 14.80 मीटर एवं पुलिस स्टेशन इंडस्ट्रियल एरिया नैनी 11.79 मीटर.

जीजीआईसी फाफामऊ 13 मीटर और महर्षि वाल्मीकि इंटर कॉलेज बलईपुर 6.05 मीटर.

गंगा बाल विद्या मंदिर रसूलबाद 13.35 मीटर एवं प्राइमरी स्कूल नीवा 3.20 मीटर नीचे गया है.

तब भी यहां की स्थितियां भू-गर्भ जल विभाग के एक्सपर्ट बता रहे हैं चलायमान पर संभलने की जरूरत.

चिंताजनक है यहां का वाटर लेवल

एरिया ग्रा.वा. लेवल मी. में

बेली अस्पताल 20.50

पीपलगांव 24.50

गल्र्स पालिटेक्निक 21.80

न्यू कटरा 25.16

उच्चतर प्रावि न्यू कटरा 25.16

तेलियरगंज 20.60

आईईआरटी 25.30

एडीए कालोनी नैनी 22.95

सदर तहसील 25.30

तुलापुर 22.40

पानी की बर्बादी के मुख्य कारण

ऐसे कई फैक्टर्स हैं जो ग्राउंड वाटर लेवल को बचाने का काम करते हैं. जिन एरिया में पानी का लेवल अधिक नीचे नही गया है, वहां पर यही फैक्टर काम करते हैं. भू-गर्भ जल विभाग के वैज्ञानिकों की मानें तो जिस एरिया की पापुलेशन जितनी अधिक व घनी होती है, वहां पानी का कंजम्प्शन यानी दोहन भी अधिक होता है. एक्सपर्ट बताते हैं कि नदी के आसपास वाले एरिया में वाटर लेवल नदी से दूर वाले इलाके से बेहतर होता है. बाजार और इंडस्ट्रियल एरिया में पानी की खपत अधिक होती है. क्योंकि यहां बोरिंग और सबमर्सिबल जैसे माध्यमों से पानी का दोहन अधिक होता है. जबकि वाटर रिचार्जिंग काफी कम हो पाता है. बात सिर्फ इतनी ही नहीं, लोगों द्वारा पानी का फिजूल में बर्बाद किया जाना भी बड़ा कारण है. नहाने, कपड़ा व बर्तन और गाड़ी एवं मुंह हाथ धुलते वक्त ध्यान नहीं दिए जाने से पानी की बर्बादी अधिक होती है.

जानिए क्या हंै कार्रवाई के नियम

पानी की बर्बादी या बगैर अनुमति बोरिंग एवं ट्यूबवेल लगवाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के नियम हैं. फिर वह होटल हों या फिर इंडस्ट्रियल एरिया. भू-गर्भ जल विभाग से एनओसी लिए बगैर ट्यूबवेल, सबमर्सिबल लगाकर जल का दोहन करने वालों के ऊपर 05 से 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. जुर्माना के पूर्व विभाग की रिपोर्ट पर डीएम के जरिए ऐसे व्यक्तियों को पहले नोटिस दी जाती है. नोटिस का सही उत्तर नहीं मिलने पर फिर भू-गर्भ जल विभाग के द्वारा रिपोर्ट डीएम को की जाती है. इसके बाद डीएम के जरिए जुर्माना या सीलिंग की कार्रवाई का आदेश राजस्व अफसरों व भू-गर्भ जल विभाग को दिया जाता है.

96 फीसद प्रतिष्ठानों में वाटर मीटर नहीं

शहर में होटल से लेकर रेस्टोरेंट व ढाबा और कॉलेज एवं आरओ प्लांट व अपार्टमेंट प्लेस व प्रतिष्ठानों में वाटर मीटर नहीं लगाए गए हैं. ऐसे प्रतिष्ठानों व भवनों की तादाद एक अनुमान के मुताबिक विभाग से जुड़े सूत्र करीब 96 प्रतिशत बताते हैं. कहा जाता है कि चंद लोग ही ऐसे हैं जिन्होंने भू-गर्भ जल विभाग से एनओसी लेकर बोर व ट्यूबवेल कराकर पानी निकाल रहे हैं. जिनके यहां वाटर मीटर लगा है वह कितना पानी निकाल रहा यह डाटा आटोमेटिक विभाग के पास पहुंच जाता है.

ब्लाकवार वाटर लेवल की जानिए दशा

क्रिटिकल सेमी क्रिटिकल सेफ

चाका बहादुरगंज हंडिया

सहसों बहरिया जसरा

धनूपुर करछना

होलागढ़ कौधियारा

मऊआइमा कौडि़हार

फूलपुर कोरांव

प्रतापपुर मांडा

सैदाबाद मेजा

श्रृंगवेरपुर धाम शंकरगढ़

सोरांव

भगवतपुर

नोट:- फैट्स ग्राउंडवाटर कटेग्राइजेशन ऑफ एसेसमेंट 2022 की रिपोर्ट पर आधारित हैं.

ग्राउंड वाटर लेवल को बचाने के लिए विभाग के द्वारा कई जतन किए जा रहे हैं. पिछले दिनों करीब 70 लोगों को डीएम के जरिए नोटिस जारी की गई है. प्रशासनिक लेवल पर वाटर रिचार्जिंग को लेकर काम किया जा रहा है. हालात को देखते हुए भू-गर्भ जल स्तर बचाने के लिए जन सहयोग का होना जरूरी है.

रवि पटेल, भूगर्भ जल वैज्ञानिक प्रयागराज

2024-05-06T20:07:21Z dg43tfdfdgfd