पेट के विकार की औषधि पर शोध, प्रभावी परिणाम मिले

अनूप भार्गव. नईदुनिया ग्वालियर। आमाजीर्ण की समस्या से जूझ रहे मरीजों के लिए क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान ग्वालियर के वरिष्ठ आयुर्वेद अनुसंधान अधिकारी डा. अनिल मंगल ने आयुर्वेदिक शास्त्रोक्त क्षार योग दवा पर शोध किया है। शोध में यह दवा मरीजों के लिए बेहद प्रभावी पाई गई है।

शोध के दौरान आमाजीर्ण के मरीजों को यह औषधि 14 दिनों तक सुबह-शाम दो-दो ग्राम दी गई। 14 दिन बाद जांच में बीमारी का स्तर तो नियंत्रित पाया ही, उनकी स्फूर्ति का स्तर भी काफी बेहतर मिला।

अनुसंधान अधिकारी इसे आमाजीर्ण के इलाज की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि मान रहे हैं। शोध करने वाले वरिष्ठ आयुर्वेद अनुसंधान अधिकारी डा. मंगल ने बताया कि 55-55 मरीजों के दो समूह बनाकर यह परीक्षण 2022 से 2023 तक किया गया। एक समूह के मरीजों को डाइट चार्ट और दूसरे समूह के मरीजों को बिना डाइट चार्ट औषधि दी गई।

दोनों ही समूह के मरीजों को असाधारण रूप से लाभ मिला। इससे यह निष्कर्ष निकला कि दवा प्रभावी है। केंद्रीय आयुर्वेद विज्ञान अनुसंधान परिषद आयुष मंत्रालय की टीम की निगरानी में यह शोध किया गया। शोध की गई आयुर्वेदीय शास्त्रोक्त क्षार योग आयुर्वेद फार्माकोपिया आफ इंडिया में लिखित है।

बिना दवा दिए दो हफ्ते निगरानी में रखा

पहले दो हफ्ते मरीज को दवा दी गई। इसके बाद दूसरे दो हफ्ते यानी 14 दिन मरीज को बिना दवा दिए निगरानी में रखा गया। इसके बाद भी दवा का प्रभाव रहा। शोध के दौरान 110 मरीजों में से 95 पर दवा का असर प्रभावी रहा। दवा के सेवन से मरीजों को पेट में भारीपन, उल्टी का मन, भोजन के बाद पेट में गुड़गुड़ाहट, गालों के पास सूजन, आंतों के नीचे सूजन, मुंह का स्वाद कड़वा बना रहना व आंव से राहत मिली।

18 से 60 वर्ष तक के रोगियों पर किया शोध

आमाजीर्ण की समस्या से पीड़ित 18 से 60 वर्ष तक के रोगियों को दवा सेवन के लिए चयनित किया गया। दवा के सेवन से पहले सभी की विभिन्न जांच कराई गईं। उसके बाद ही दवा का सेवन कराया गया। चयनित मरीजों को 14 दिन दवा का सेवन कराया गया और 14 दिन बिना दवा दिए निगरानी में रखा।

सस्ते इलाज की राह प्रशस्त हुई

डा. मंगल ने बताया कि मरीजों पर इस्तेमाल से पहले प्रमाणित प्रयोगशाला में औषधि का परीक्षण किया गया था। सभी मानकों पर खरा उतरने के बाद ही औषधि का परीक्षण मरीजों पर किया गया। परिणाम बेहद सकारात्मक मिले हैं और आमाजीर्ण के सस्ते इलाज की राह प्रशस्त हुई है। इसे केंद्रीय आयुर्वेद विज्ञान अनुसंधान परिषद आयुष मंत्रालय के जर्नल में भी प्रकाशन के लिए भेजा गया है।

2024-07-27T06:06:10Z dg43tfdfdgfd