प्रयाग में है पितरों की मुक्ति का प्रथम द्वार

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। पितृ पक्ष लगते ही बुधवार को संगम तट पर पितरों को पिण्डदान करने वालों की भीड़ लग गई. सुबह से शुरू हुआ पिण्डदान का सिलसिला शाम तक चलता रहा. यजमानों की भीड़ से पिण्डदान कराने वाले तीर्थ पुरोहित भी काफी व्यस्त दिखाई दिए. तीर्थों का राजा कहे जाने वाले प्रयाग के संगम से ही पितरों की मुक्ति का प्रथम और मुख्य द्वार है. तीर्थ पुरोहित कहते हैं कि यह बातें सनातन धर्म के ग्रंथों में वर्णित है. मुक्ति का प्रथम द्वार होने के नाते ही यहां पर सबसे पहले पिण्डदान करने की धार्मिक मान्यता है. प्रयागराज संगम तट पर पिण्डान किए गए बगैर कोई भी यजमान अपने पितरों का गया नहीं कर सकता है. प्रथम पिण्डदान प्रयाग में करने के बाद काशी फिर गया में पितरों को पिण्डदान करने का विधान है.

व्यस्त रहे तीर्थ पुरोहित

पितरों की आत्म शांति और मोक्ष के लिए सनातन धर्म में पिण्डदान को काफी महत्व दिया गया है. पितृ पक्ष के शुरू होते ही प्रयाग संगम तट पर देश के कोने-कोने से पितरों को पिण्डदान करने के लिए लोगों की भीड़ लगी रही. यहां संगम स्नान के बाद अपने-अपने तीर्थ पुरोहितों से यजमानों के द्वारा विधिवत पूजा कराई गई. इसके बाद पिण्डदान किया गया. मान्यता है कि इसी महीने में श्रद्धा, तर्पण और पिण्डदान पितरों की की आत्मा को शांति मिलती है. तीर्थ पुरोहित कहते हैं कि इस पितृ पक्ष में हर सनातन धर्मावलंबियों के पूर्वज धरती पर आते हैं. लोगों के द्वारा किए गए पिण्डदान को ग्रहण करके पूर्वजों की आत्माएं अपने जीवन काल के दौरान किए गए कर्मों के अनुसार नई काया धारण करती हैं. यूं तो पिण्डदान की मान्यता प्रयाग, काशी और बिहार के गया में ही है. लेकिन, इसकी शुरुआत प्रयागराज के संगम ही किए जाने की धार्मिक मान्यता है. तीर्थ पुरोहितों की मानें तो धार्मिक ग्रंथों में प्रयाग को पितरों की मुक्ति का मुख्य और प्रथम द्वार माना गया है.

भगवान विष्णु विराजमान

मोक्ष के देवता भगवान विष्णु प्रयाग में बारह विभिन्न रूपों में विराजमान हैं. मान्यता है कि त्रिवेणी में भगवान विष्णु बाल मुकुंद स्वरूप में वास करते हैं. यही वजह है कि पितरों के लिए मुक्ति और मोक्ष का प्रयाग को मुख्य और प्रथम द्वार माना गया है. इसी तरह काशी को मध्य एवं गया को मोक्ष का अंतिम द्वार शास्त्रों में कहा गया है. प्रयाग में श्राद्ध कर्म की शुरुआत मुण्डन संस्कार से होती है.

पिण्डदान पूर्व मुण्डन का क्या है राज

सनातन धर्म में कोई भी धार्मिक कृत्य करने से पहले मुण्डन का विधान है.

प्रयाग धर्म संघ के अध्यक्ष राजेंद्र पालीवाल कहते हैं कि श्राद्ध और पिण्डदान पूर्व सिर मुण्डन को लेकर एक धार्मिक किवदंती भी है.

हर इंसान को अपने बालों से बहुत स्नेह और प्यार होता है. इस दृष्टि से सिर का मुण्डन करवाकर लोग पितरों को यह संदेश देते हैं कि उनके सम्मान व सेवा में वह अपनी प्रिय चीजों का भी मोह कभी नहीं करेंगे.

मान्यता है कि प्रयाग क्षेत्र में केश मुण्डन कराने से अक्षय पुण्य का लाभ जातक को प्राप्त होते हैं और पितृ देवता प्रसन्न होकर सुख समृद्धि और परिवार के कल्याण का आशीर्वाद देते हैं.

काशी में शरीर त्यागने, कुरुक्षेत्र में दान और गया में पिण्डदान और प्रयाग संगम में बाल दान को विशेष फलदायी माना गया है.

2024-09-18T20:15:03Z dg43tfdfdgfd