वॉक नहीं ये स्लो काम घटा देगा पेट की चर्बी, हड्डियों में ला देगा कुदरती जान

Slow Running Benefits: कहावत है दौड़ता हुआ घोड़ा और चलता हुआ आदमी कभी बूढ़ा नहीं होता. घोड़ा तो बुढ़ापे तक दौड़ता रहता है लेकिन इंसानों के साथ ऐसा नहीं है. 50 तक पहुंचते-पहुंचते हर चीज में वह मंद होने लगता है. आजकल तो युवा उम्र से ही लोगों में आलस, ताकत और स्टेमिना की कमी होने लगती है. वॉक करना या जॉगिंग करना इस ताकत की कमी को भरने और पेट की चर्बी को कम करने का बेहतर तरीका माना जाता है. लेकिन सच्चाई यह है कि यदि आपकी स्पीड वॉक करते समय कम है तो इसका कोई फायदा नहीं है. इसलिए डॉक्टरों का कहना है कि स्लो रनिंग पेट की चर्बी को कम करने का सबसे परफेक्ट तरीका तो है ही, यह हार्ट और लंग्स की क्षमता को बढ़ाने का भी बेहतरीन तरीका है.

क्या होता है स्लो रनिंग

क्लीवलैंड क्लीनिक की कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. तमन्ना सिंह बताती हैं कि इस बात के कई प्रमाण हैं कि स्लो रनिंग हमारी हेल्थ के लिए कई तरह से फायदेमंद है. ऐसे में सबसे पहले यह जानिए कि स्लो रनिंग होता क्या है. यह जॉगिंग करने से थोड़ा अधिक है. इसका अंदाजा आप खुद इस बात से लगाइए कि आप जॉगिंग जिस तरह से करते थे, उससे यह अलग है कि नहीं. इसमें जॉगिंग से हल्की स्पीड बढ़ सकती है लेकिन शरीर का मूवमेंट ज्यादा होता है. इसका सीधा असर हार्ट और लंग्स पर होता है. इसमें एक फायदा यह भी है कि तेज रनिंग करने वाला 5 मिनट में बेशक दो या तीन किलोमीटर दौड़ लें लेकिन स्लो रनिंग से आप 20 मिनट में तीन किलोमीटर से ज्यादा चल लेंगे. जाहिर है इसका फायदा भी ज्यादा होगा. इसलिए यदि आप रेगुलर स्लो रनिंग करते हैं तो इससे पेट की चर्बी धीरे-धीरे निश्चित तौर पर कम होने लगेगी.

स्लो रनिंग के फायदे

डॉ. तमन्ना सिंह कहती हैं कि स्लो रनिंग करने से शरीर का पूरा अंग प्रभावित होता है इसलिए यह शरीर के हर अंग को फायदा पहुंचाता है. स्लो रनिंग करने से आपको किसी भी तरह के शारीरिक काम करने की क्षमता में वृद्धि होगी. यानी आप कोई मेहनत वाला काम कर रहे हैं तो उसमें थकेंगे नहीं. स्लो रनिंग हड्डियों को बहुत तेजी से मजबूत बना देता है.इससे ज्वाइंट, लिगामेंट आदि में स्ट्रेस कम करता है और इसे स्मूद बनाता है. यह शरीर में ताकत को बढ़ाता है और स्टेमिना को बूस्ट करता है. सबसे बड़ी बात यह है कि स्लो रनिंग करने से हार्ट और लंग्स दोनों की एक्सरसाइज एक साथ हो जाती है और शरीर के दोनों सबसे महत्वपूर्ण अंग मजबूत होती है और उनकी क्षमता में वृद्धि होती है.

स्लो रनिंग करने के तरीके

अगर आप स्लो रनिंग करते हैं तो सबसे पहले स्मार्ट वॉच से इसे मापने की कोशिश न करें. ऐसा करने से आप वॉच को हमेशा देखते रहेंगे जिसमें परिणाम सही से नहीं आने के कारण एंग्जाइटी होगी. इससे फायदे की जगह नुकसान होना शुरू होगा. इसलिए बिना किसी मशीनी मदद से आप स्लो रनिंग करें. वहीं अगर आप किसी दोस्त के साथ स्लो रनिंग करते हैं तो इसका ज्यादा फायदा मिलेगा. इससे आप बातचीत करते हुए सफर को तय करेंगे और इसका पता भी नहीं चलेगी. लेकिन ऐसे दोस्त के साथ स्लो रनिंग न करें जो आलसी हो और जल्दी ही कहें कि अब हो गया. स्लो रनिंग को दो-चार दिन के अंदर ही बहुत ज्यादा न करें. पहले धीरे-धीरे छोटा सफर तय करें. 10-15 दिन के बाद किलोमीटर को बढ़ाएं.

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