VARANASI NEWS: काशी में झांसी तो कोई गोरखपुर से लेकर पहुंचा सपना

वाराणसी (ब्यूरो)दुनिया की सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता ओलंपिक में शामिल होना हर खिलाड़ी का सपना होता है. यहां तक पहुंचने की राह कठिन होती है और लाखों में चुनिंदा खिलाड़ी ही ओलंपियन हो पाते हैं. बनारस से अब तक 11 प्लेयर्स ने ओलंपिक तक का सफर तय किया है. ऐसे ही और खिलाड़ी हैं, जो दिन-रात प्रैक्टिस करके काशी का नाम रोशन करना चाहते हैं. इनके सपनों को पूरा करने के लिए गवर्नमेंट भी इनका साथ दे रही है. इसलिए काशी में भी बाहरी जिलों से अपना सपना लेकर खिलाड़ी पहुंच रहे हैैं और यहां हॉस्टल में रहकर प्रैक्टिस कर रहे हैैं. इन लोगों को बढ़ावा देने के लिए 7 मई को वल्र्ड एथलीट डे मनाया जाता है, जिससे ये खिलाड़ी एथलेटिक्स खेलने के लिए प्रोत्साहित हों. इस खास मौके पर आपको ऐसे खिलाडिय़ों के बारे में बताएंगे जो देश के लिए मेडल लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.

गवर्नमेंट देती है आगे बढऩे में साथ

कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर देश का नाम रोशन करते हैं. ऐसे खिलाडिय़ों और खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार ने एजुकेशन और सरकारी नौकरियों में खेल का प्रावधान किया है. खेल कोटे के तहत भर्ती प्रक्रिया में खिलाडिय़ों को कई प्रकार के छूट मिलते हैं. भारतीय रेलवे, भारतीय सेना, पुलिस, सरकारी बैंकों/विश्वविद्यालयों, पीएसयू सहित अन्य सरकारी संस्थानों में समय समय पर प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों की भर्तियां होती हैं. इसके लिए खिलाडिय़ों को साउथ एशिया फेडरेशन गेम्स के नेशनल-इंटरनेशनल टूर्नामेंट, एशियन गेम्स, फेडरेशन कप, वल्र्ड कप, जिला लेवल, स्टेट लेवल, ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम्स, यूएसआईसी चैंपियनशिप सहित विभिन्न प्रतियोगिताओं और टूर्नामेंट्स में भाग ले चुका होना चाहिए. इन खिलाडिय़ों की गर्वमेंट जॉब में सीधा भर्ती होती है.

मेडल लाने वालों को करोड़ों

ओलंपिक में मेडल लाने वाले खिलाडिय़ों को गवर्नमेंट जॉब के साथ करोड़ों रुपये भी दिए जाते हैं. इंटरनेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल लाने वाले को 6 करोड़, सिल्वर मेडल लाने वाले को 4 करोड़ और ब्रॉन्ज लाने वाले को 1.5 करोड़ रूपये दिए जाते हंै. साथ ही नेशनल गोल्ड मेडलिस्ट को 6 लाख, सिल्वर को 4 लाख और ब्रॉन्ज विजेता को 2 लाख रुपये सरकार देती है.

मुफ्त हॉस्टल की सुविधा

वाराणसी में खेल प्रतियोगिता के लिए प्रैक्टिस करने वालों के लिए तीन हॉस्टल बनाए गए हैं. जो खिलाड़ी डिस्ट्रिक्ट, स्टेट लेवल को क्लियर करता है, उसे सारी सुविधा फ्री में दी जाती है. जैसे बनारस के साथ-साथ अन्य शहरों के भी खिलाड़ी यहां के ग्राउंड में प्रैक्टिस करने के लिए आते हैं तो जो ये लेवल क्लियर कर चुका होता है, उसको हॉस्टल की सुविधा फ्री में दी जाती है. साथ ही उनका रहना-खाना भी फ्री होता है. इन खिलाड़ी को नेशनल और इंटरनेशनल खेलों के लिए तैयार किया जाता है, जिसके लिए इन्हें स्पेशल ट्रेनिंग भी दी जाती है. ये खिलाड़ी बड़ा लालपुर के स्टेडियम में सुबह 5 बजे से 4 घंटे और शाम 4 बजे से 4 घंटे अपनी प्रैक्टिस करते हैं, जहां इनके कोच इन्हें खेल के लिए तैयार करते हैं. ये अलग-अलग शहरों से आकर बनारस के कोच से खेल के लिए ट्रेनिंग ले रहे हैं.

पहले खिलाडिय़ों को इतनी सुविधाएं नहीं दी जाती थी. अब हम जैसे लोगों को आगे बढ़ाने के लिए काफी काम किया जा रहा है. हॉस्टल की फीस से लेकर रहने खाने तक की सुविधा हमें मिल रही है. देश के लिए गोल्ड मेडल लाने का सपना है जोकि जल्दी ही पूरा करेंगे.

रामअनुज यादव, प्रयागराज

इंटरनेशनल खेलने के लिए तैयारी कर रहे हंै. यहां के कोच बहुत अच्छी तरह से ट्रेनिंग देते हैं. कई प्रतियोगिता जीत चुके हैं जिसके लिए प्राइज भी मिल चुका है. अभी तक कोई प्रॉब्लम नहीं है. जल्दी ही सिगरा स्टेडियम भी बनने वाला है जहां पर हम अपनी ट्रेनिंग करेंगे.

अभय कुमार दुबे, भदोही

हॉस्टल में खाने और रहने की सुविधा बिल्कुल फ्री है. हमें टाइम से ट्रेनिंग भी दी जा रही है. हॉस्टल में जो खाना दिया जा रहा है, उसका टेस्ट भी अच्छा है. देश के लिए गोल्ड मेडल लाना सपना है, जिसके लिए स्टेडियम में घंटों प्रैक्टिस करते हैं.

जमील अली, गोरखपुर

अभी हमें अपनी प्रैक्टिस के दौरान कोई प्रॉब्लम नहीं है. ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं हमें मिल रही हैं. हमें स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है, जिसके लिए हम सुबह जल्दी उठ कर अपनी प्रैक्टिस करते हैं. कोच हमें समय-समय पर गाइड करते रहते हंै.

अंशू राजक, झांसी

स्टेडियम में खेलने वाले लोगों को सभी सुविधाएं दी जा रही हैं. स्टेडियम में बच्चे सुबह और शाम अच्छे से अपनी प्रैक्टिस करते हैं.

आरपी सिंह, आरएसओ

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